कभी था गुलजार अब है बारिश का इंतजार
घोसी (मऊ) : बरूहां-रसड़ी मार्ग के किनारे सरायगनेश चौहान बस्ती से सटे लगभग एक एकड़ में फैले सुगही जलाश
घोसी (मऊ) : बरूहां-रसड़ी मार्ग के किनारे सरायगनेश चौहान बस्ती से सटे लगभग एक एकड़ में फैले सुगही जलाशय को इस वर्ष तर होने को बारिश का इंतजार है। कभी इस पोखरे में गर्मी के दिनों में भी लबालब पानी रहता था। ग्राम पंचायत को मत्स्य पालन से अलग आय होती थी।
यूं तो यह पोखरा गांव आबाद होने के साथ ही अस्तित्व में आने की बात सामने आती है। वर्ष 07-08 में मनरेगा के तहत तत्कालीन प्रधान दुर्गावती चौहान एवं विधि चौहान ने इसकी गहराई बढ़ाकर जीर्णोद्धार किया। चारो तरफ बंधा एवं पौधरोपण के चलते सड़क किनारे स्थित इस पोखरा की छटा ही बदल गई। बाद में मत्स्य पालन प्रारंभ हुआ। हाल यह कि गरमी हो या ठंडक का दिन तालाब पानी से भरा रहता था। प्रावधान के अनुसार गरमी में जलस्तर घटते ही नलकूप से पानी छोड़ा जाता रहा है। यह क्रम कई वर्षो तक चला। ऐसे में यह जलाशय मवेशी से लेकर इंसान तक के लिए बेहद लाभप्रद साबित होने लगा। बहरहाल इधर कुछ वर्ष से सूखे जलाशय में उगी घास इसकी उपेक्षा बयान करती है।