बालू खनन पर प्रतिबंध लगाना एक चुनौती
मधुबन (मऊ) : जनपद में घाघरा तट पर बसा लंबा-चौड़ा देवारांचल वर्षों से अवैध खनन का गढ़ बना हुआ है। ख
मधुबन (मऊ) : जनपद में घाघरा तट पर बसा लंबा-चौड़ा देवारांचल वर्षों से अवैध खनन का गढ़ बना हुआ है। खनन माफियाओं के शासन और प्रशासन में गहरी पकड़ के चलते प्रशासन इन पर पूरी तरह से अंकुश लगा पाने में हमेशा विफल रहा है। अब नई सरकार बनने के बाद क्षेत्र के लोगों में इस बात की चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार अवैध ढंग से सफेद बालू खनन में लिप्त माफियाओं पर नकेल कसेगी। हालांकि अवैध खनन पर प्रतिबंध लगाना प्रदेश सरकार के मुख्य एजेंडे में शामिल है। अब इस पर अमल होने में कितना समय लगता है, क्षेत्रीयजनों को इस बात का इंतजार है।
हालांकि प्रशासन द्वारा अवैध खनन पर रोक का प्रयास शुरू करते हुए कुछ दिन पूर्व जेसीबी और ट्रैक्टर ट्राली को सीज किया गया है लेकिन छिटपुट होने वाली इस कार्रवाई को लोग केवल दिखावे का ही मानते हैं। कारण कि नियमित रूप से रात के अंधेरे में होने वाले खनन को रोकने के लिए प्रशासन को प्रतिबद्ध होकर लगातार पूरी सख्ती अपनानी होगी। क्षेत्र का देवारा सफेद बालू के अवैध खनन का गढ़ माना जाता है। प्रतिदिन जेसीबी लगाकर आधा दर्जन से अधिक ट्रकों से सफेद बालू दूसरे जनपदों को भेजा जाता है। खनन माफियाओं के मजबूत नेटवर्क का आलम यह है कि पूर्ववर्ती सरकार में प्रशासन चाहते हुए खनन पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रहा था। पूर्व में प्रशासन के द्वारा रोक लगाने का प्रयास किया गया तो सत्ता की दखलअंदाजी आड़े आ गई। चूंकि प्रदेश में अब भाजपा की सरकार आ गई है और अवैध खनन पर रोक इस सरकार के मुख्य एजेंडे में शामिल है। इससे खनन पर रोक लगाना तय माना जा रहा है। फिर भी लोगों का मानना है कि देवारा में सक्रिय खनन माफियाओं के आगे अवैध खनन पर रोक लगाना प्रशासन के लिए एक चुनौती भरा कार्य होगा।