स्लाटर हाउस बंद, चिकन व मटन के दाम में तेजी
मऊ : नगर के पठान टोला स्थित पुराने स्लाटर हाउस मंगलवार की शाम को बंद कर दिए जाने के बाद बुधवार क
मऊ : नगर के पठान टोला स्थित पुराने स्लाटर हाउस मंगलवार की शाम को बंद कर दिए जाने के बाद बुधवार को एक भी बडे़ जानवर नहीं कटे। शहर में पशुवध की नीलामी तीन साल से बंद होने व इसके बेचने का लाइसेंस नवीनीकरण न होने से मोहल्लों एवं गलियों में भी बडे़ जानवर का गोश्त नहीं बिक सका। इसके चलते चिकन व मटन के दामों में तेजी रही। चिकन जहां 300 रुपये प्रति किलो बिक रहा था। उसका दाम अचानक 400 रुपये प्रति किलो हो गया। इसी प्रकार मटन की कीमत में भी 60 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हो गई।
सूबे की नई सरकार द्वारा अवैध बूचड़खानों पर सख्ती से रोक लगाने से कसाईबाड़े में रहने वाले तथा स्लाट¨रग से जुड़े लोगों में आक्रोश था। उधर मोहल्लों एवं गलियों में बिकने वाला भैंस का मांस सुबह में न आने से बड़ा मांस खाने के शौकीन मायूस रहे। कई लोग जहां इसके बंद होने पर अपने-अपने ढंग से एतराज जता रहे थे। वहीं बहुत से लोगों का कहना था कि इसके बंद होने से खाने वालों पर कम असर पड़ेगा क्योंकि उक्त गोश्त को लोग इसी लिए खाते थे कि वह सस्ता मिलता था पर अब चिकन व मटन खाएंगे।
बैठक कर जताया आक्रोश
स्लाटर हाउस बंद होने के दूसरे दिन सैकड़ों लोगों ने पठान टोला में बैठक की। कहा गया कि सरकार द्वारा उक्त रोजगार को बंद करके सैकड़ों लोगों को बेरोजगार कर दिया गया है। पठान टोला के मांस विक्रेता फिरोज अहमद ने स्ला¨टग का कारोबार बंद होने पर कड़ा एतराज जताया। कहा कि भैंस कटने पर जब रोक लगाई गई है तो सूकर भी नहीं कटनी चाहिए। उधर रफीक अहमद, अजमल, एखलाक कुरैशी कहते हैं कि स्लाटर हाउस बंद करने से केवल नगर के 5000 परिवारों की रोजी-रोटी बंद हो जाएगी। मांस कारोबार में भले 1000 लोग जुड़े हों ¨कतु चमड़ा साफ करके बेचने वाले तथा इसका कारोबार करने वाले बहुत ज्यादा लोग हैं, वे कहां जाएंगे। अजीम कुरैशी ने तो यहां तक कहा कि अगर बड़े जानवरों का वध व इसका मांस बेचना गुनाह है तो छोटे गोश्त की भी बिक्री भी बंद होनी चाहिए।
पालिका प्रशासन के प्रति भी झलका आक्रोश
स्लाट¨रग बंद होने से कुछ लोगों ने नगर पालिका के जनप्रतिनिधि पर भी आक्रोश व्यक्त किया। कहा कि पालिका 14 साल से आधुनिक स्लाटर हाउस बनवा रही है और ट्रीटमेंट प्लांट लगवा रही है ¨कतु अभी तक कुछ नहीं कर पाई। आधुनिक स्लाटर हाउस बंद हो गया होता तो उन पर रोजी-रोटी का संकट कभी नहीं आता।