बढ़ रही गन्ना की आवक, मध्य फरवरी तक पेराई संभावित
घोसी (मऊ) : स्थानीय किसान चीनी मिल लिमिटेड में गन्ने की आवक की गति के मद्देनजर मध्य फरवरी तक पे
घोसी (मऊ) : स्थानीय किसान चीनी मिल लिमिटेड में गन्ने की आवक की गति के मद्देनजर मध्य फरवरी तक पेराई सत्र चलने की संभावना है। इस वर्ष 24 नवंबर से ही पेराई प्रारंभ होने से अब तक 26 लाख कुंतल के लक्ष्य के सापेक्ष 10.36 लाख कुंतल गन्ना की पेराई हो चुकी है।
इस वर्ष गन्ना आयुक्त लखनऊ ने घोसी चीनी मिल को 11667 हेक्टेयर गन्ना क्षेत्रफल आवंटित किया। इस क्षेत्रफल को दृष्टिगत रखते हुए मिल ने सर्वे कर 38.66 लाख कुंतल गन्ना का सट्टा किया जबकि 26 लाख कुंतल गन्ना की पेराई का लक्ष्य निर्धारित किया। विभिन्न कारणों से बीच में कुछ घंटे के लिए मिल में ब्रेक डाउन के बावजूद अब तक 10.36 लाख कुंतल गन्ना की पेराई हो चुकी है जबकि 82 हजार कुंतल चीनी निर्मित की गई है। प्रधान प्रबंधक केएम ¨सह ने किसानों को पर्ची जारी करने के साथ ही मोबाइल पर संदेश दिए जाने की जानकारी दी है। श्री ¨सह ने किसान द्वारा मोबाइल बदले जाने या अन्य मोबाइल प्रयुक्त किए जाने की दशा में मिल को नए नंबर की तत्काल सूचना दिए जाने को कहा है।
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मौसम की मार से किसान एवं मिल प्रभावित
इस वर्ष कड़ाके की ठंड एवं मिल में पेराई नवंबर के अंतिम सप्ताह में ही प्रारंभ होने से काफी प्रभाव पड़ा है। प्रारंभ में पेड़ी गन्ना की आपूर्ति किए जाने से किसान के गन्ने का वजन अधिक रहा एवं गन्ना भी पर्याप्त पका रहा। इससे मिल में रिकवरी अच्छी रही। पेड़ी गन्ना समाप्त होते ही किसानों ने नये गन्ना की आपूर्ति प्रारंभ किया तो मौसम ऐसा कि धूप का नामोनिशान न रहा। ऐसे में गन्ने से चीनी की उत्पादित होने वाली मात्रा घट गई। मिल के मुख्य गन्ना अधिकारी रामआशीष ¨सह कहते हैं कि इस मौसम के चलते रिकवरी दर में अपेक्षित वृद्धि न होने की जानकारी देते हैं।
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सठियांव मिल दे रही कड़ी प्रतिस्पर्धा
घोसी चीनी मिल को इन दिनों निजी क्षेत्र नहीं वरन सहकारिता क्षेत्र की सठियांव चीनी मिल कड़ी प्रतिस्पर्धा दे रही है। जीर्णोद्धार के बाद सठियांव मिल ने प्रथम वर्ष ही पर्ची की बजाय सीधे तौल की नीति अपनाया। इसके चलते घोसी मिल क्षेत्र से संबद्ध इसमाइलपुर, करखिया, रौनापार, हरैया, मालटाड़ी, भुवना एवं छपरा सुल्तानपुर केंद्रों के किसान सठियांव मिल को गन्ना बेच रहे हैं। इससे निश्चित ही मिल को मिलने वाले गन्ना की मात्रा में कमी आ रही है।