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नेताओं के कार्यालयों में दिन बढ़ रही गहमागहमी

मऊ : विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिले की सियासी सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। राजनीतिक दलों के कार्याल

By Edited By: Published: Mon, 16 Jan 2017 06:14 PM (IST)Updated: Mon, 16 Jan 2017 06:14 PM (IST)
नेताओं के कार्यालयों में दिन  बढ़ रही गहमागहमी
नेताओं के कार्यालयों में दिन बढ़ रही गहमागहमी

मऊ : विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जिले की सियासी सरगर्मियां तेज होने लगी हैं। राजनीतिक दलों के कार्यालयों पर पूरे दिन कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लगा रह रहा है। टिकट पर कुछ दलों के असमंजस और प्रत्याशियों की घोषणा न होने से जिले के सियासी गलियारे में ही यह आम चर्चा है कि सपा रार में, बसपा प्रचार में और भाजपा विचार में है। शीर्ष नेतृत्व से टिकट की घोषणा न होने से पार्टी कार्यकर्ता असमंजस और तनाव में हैं। दलों की चुनावी तैयारियों पर भी इसका असर पड़ने लगा है।

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आम मतदाताओं से लेकर राजनीतिक दलों के कार्यकर्ताओं तक सबकी निगाहें पार्टी से टिकट लेकर आने वाले प्रत्याशियों को ढूंढ रही हैं। चट्टी-चौराहों से हर नुक्कड़ तक सियासी गणितज्ञ बस एक ही चर्चा में लगे हैं कि सपा-भाजपा की घोषित-अघोषित सीटों पर आखिर टिकट किसके हाथ लगेगा। फेसबुक व सोशल वेबसाइटों पर भी इस तरह की चर्चाएं विधानसभा चुनाव की सरगर्मियों में रंग भरने लगी हैं। कांग्रेस हो, भाजपा हो या फिर सपा, सभी के कार्यकर्ता टिकट पर सीधे तौर पर संवाद करने से बच रहे हैं। टिकट की दौड़ से बाहर के कार्यकर्ता असमंजस में लगे शीर्ष नेतृत्व को लेकर रोज नए जुमले गढ़ रहे हैं। अघोषित टिकट वाले पार्टी कार्यालयों पर हर कार्यकर्ता की आंखों में कौतूहल और सवाल हैं।

जमीनी तैयारियां तेज

मऊ : शीर्ष नेतृत्व चाहे जिसे प्रत्याशी बनाए राजनीतिक दलों के जिला कार्यालयों में जमीनी तैयारियां तेज हो गई हैं। बूथों की मतदाता सूची से लेकर वाहनों के पास आदि बनाए जाने का सिलसिला तेज हो गया है। चुनाव कार्यालयों से पत्र-व्यवहार का सिलसिला तेज हो गया है। पूरे दिन चुनाव कार्यालय पर पार्टी कार्यकर्ताओं की आवाजाही लगी लग रही है।

आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला शुरू

मऊ : घोषित और अघोषित प्रत्याशियों के बीच चुनाव आचार संहिता आदि से जुड़े आरोपों-प्रत्यारोपों का दौर शुरू हो गया है। राजनीतिक दलों के प्रत्याशी कभी प्रशासन पर सत्ता के दबाव में काम करने तो कभी दूसरे प्रत्याशी को लाभ पहुंचाए जाने के आरोप मढ़ने लगे हैं। आयोग तक शिकायतों का पु¨लदा भेजने का सिलसिला तेज हो गया है।


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