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धूप निकलने के बाद ही छिड़कें दवा

मऊ : गेहूं की अगेती व मध्यम प्रजातियों में खरपतवार नियंत्रण समय से होना अत्यावश्यक है। चौड़ी पत्ती

By Edited By: Published: Thu, 08 Dec 2016 06:59 PM (IST)Updated: Thu, 08 Dec 2016 06:59 PM (IST)
धूप निकलने के बाद ही छिड़कें दवा

मऊ : गेहूं की अगेती व मध्यम प्रजातियों में खरपतवार नियंत्रण समय से होना अत्यावश्यक है। चौड़ी पत्ती के साथ गेहूं का मामा, बनरी सहित पतली पत्ती के खरपतवारों को नष्ट करने में रसायन के साथ समय का बहुत बड़ा महत्व है।

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कृषि विशेषज्ञ ने प्रखर धूप निकलने के बाद भी दवा के छिड़काव की सलाह दिया है। इसके साथ ही खरपतरवार नाशी रसायनों को उर्वरक में मिलावर छिड़कने की बजाए पानी के साथ स्प्रे करने पर बल दिया। बताया नाजिल से सीधे छिड़काव करते हुए पीछे की ओर चलते हुए दवा का छिड़काव करना चाहिए। इससे प्रक्षेत्र में पड़ चुकी दवा की कड़ी न टूटने की बात को लेकर वह किसानों को सचेत किया है।

जिला कृषि सलाहकार व केवीके के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा.एनके ¨सह ने बताया कि गेहूं में मुख्यत: चौड़ी व पतली पत्ती के खरपतवारों का प्रकोप होता है। चौड़ी पत्ती में बथुआ, कृष्णनील, जंगली मटर, भटकोईंया आदि प्रजातियां आती हैं। इनसे नियंत्रण के लिए 13.5 ग्राम सल्फोसल्फूरान प्रति एकड़ की दवा का प्रयोग पानी में मिला कर करना चाहिए। पतली पत्ती में जंगली जई, गेहूं का मामा आदि आते हैं। इनके लिए मेट्राब्यूजिन 20 ग्राम मात्रा प्रति एकड़ के लिए निर्धारित की गई है। गेहूं के जिस खेत में चौड़ी और पतली पत्ती दोनों प्रकार के खरपतरवार हो वहां पर मेट सल्फूरान आठ ग्राम मात्रा प्रति एकड़ के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए। बाजार में यह टोटल या आलग्रिप के नाम से उपलब्ध है। डा. ¨सह ने किसानों को सचेत करते हुए बताया कि खरपतवार नाशी रसायनों का प्रयोग कभी भी उर्वरक या बालू में मिलाकर नहीं करना चाहिए। इससे उसका प्रभाव नहीं पड़ता। स्प्रे से छिड़काव में सावधानी के प्रति सचेत करते हुए बताया कि इसमें फ्लैटपैन नाजिल या कट नाजिल का ही प्रयोग करें। दवा का छिड़काव करते समय नाजिल को दांए-बाएं न घुमाकर हाथ को सीधा रखें। दवा छिड़कते समय पीछे ओर बढ़ना चाहिए। आगे बढ़ने पर पैरों के चलने से दवा का चक्र टूट जाता है और वह उस स्थान पर प्रभावी नहीं होता।

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छिड़काव में समय का रखें ध्यान

डा. ¨सह ने बताया कि दवा छिड़काव में समय का ध्यान रखना सबसे आवश्यक है। पहली ¨सचाई होने के बाद पैर सहने की नमी के दौरान तेज धूप होने पर ही दवा का छिड़काव करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखा जाए कि छिड़काव के उपरांत तीन से चार घंटा धूप पौधों को मिले। दवा छिड़कने से पहले यूरिया का छिड़काव कदापि नहीं करना चाहिए। दवा छिड़काव के तीन-चार बाद ही यूरिया का प्रयोग किया जाना चाहिए। अत्यधिक दवा की बजाए समान रूप से छिड़काव करना ही लाभकारी होता है।

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दवा में मिलाएं स्टीकर

डा. ¨सह ने बताया कि दवा को पत्तियों पर चिपकाने के लिए छिड़काव के समय स्टीकर का प्रयोग अवश्य करें। बाजार में स्टकीर उपलब्ध है। स्टीकर उपलब्ध न होने की दशा में डिटरजेंट पाउडर या शैंपू का प्रयोग करने से भी दवा पत्तियों पर चिपक जाती है। इससे खरपतवार के नष्ट होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है।


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