समाज को जोड़ने से आएंगे अच्छे दिन
मऊ : असहिष्णुता का सवाल विमर्श का केंद्र बनता जा रहा है। वाद-विवाद संवाद की उपस्थिति हर दौर में हर स
मऊ : असहिष्णुता का सवाल विमर्श का केंद्र बनता जा रहा है। वाद-विवाद संवाद की उपस्थिति हर दौर में हर समाज में रही है। समाज को जोड़ने से अच्छे दिन आएंगे न कि तोड़ने से। गार्गी, मीराबाई, नानक, रैदास, कबीर आदि ने अपने दौर की प्रतिरोधी आवाज को उठाते हुए समाज को जोड़ने का कार्य किया है। साहित्यकारों को इस दिशा में प्रयासरत रहना होगा। डॉ. चौथी राम यादव ने गुरुवार को नगरपालिका में आयोजित हमारे समय के सवाल और साहित्यकारों के सरोकार विषयक संगोष्ठी में परिचर्चा के दौरान अपना विचार व्यक्त किया।
कथाकार विभूति नारायण राय ने कहा कि असहिष्णुता मनुष्य के भीतर संवेदनशीलता को नष्ट कर देता है। व्यक्ति के अहं में यह उर्वरा शक्ति का कार्य करता है। पूर्व डीजीपी विकास नारायण राय ने कहा कि आजादी व्यक्ति का संवैधानिक अधिकार है। हर दौर में साहित्यकारों ने अत्याचार के विरुद्ध प्रतिरोध के स्वर को बुलंद किया है। साहित्यकारों की हो रही हत्या ¨नदनीय है। इसे रोका जाना चाहिए। भारतेंदु शोध संस्थान निदेशक डॉ. गया ¨सह ने कहा कि गुलामी के काल में नाटक, कविताओं के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को हिलाकर रख दिया गया।
कार्यक्रम में आधार वक्तव्य डॉ. संजय राय ने दिया। इम्तेयाज अहमद, सत्यप्रकाश ¨सह, गिरीश चंद मासूम, आईएमए अध्यक्ष डॉ. वसीमुद्दीन जमाली, शमसुल हक चौधरी, शेर मुहम्मद आदि मौजूद थे। गोष्ठी का संचालन जयप्रकाश धूमकेतु ने किया।