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आरक्षण पर उहापोह, तीसरी बार बढ़ी सूची की तिथि

मऊ : त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर शासन की मंशा क्या है, यह तो वे ही जाने। बार-बार आरक

By Edited By: Published: Thu, 03 Sep 2015 06:21 PM (IST)Updated: Thu, 03 Sep 2015 06:21 PM (IST)
आरक्षण पर उहापोह, तीसरी बार बढ़ी सूची की तिथि

मऊ : त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव में आरक्षण को लेकर शासन की मंशा क्या है, यह तो वे ही जाने। बार-बार आरक्षण नीति में हो रहे संशोधन से शासन की नीति पर सवाल खड़े हो रहे हैं। शासन द्वारा पुराने आरक्षण नीति पर सभी पदों का आरक्षण लगभग तय हो गया है परंतु आरक्षण की सूची चस्पा करने की तिथि तीन बार बढ़ाई जा चुकी है। आए दिन आरक्षण पर के बदलते शासनादेश को लेकर गांवों में राजनीतिक आबो-हवा पल-पल बदल रही है।

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शासन द्वारा पंचायत चुनाव के तहत ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत तथा जिला पंचायत के लिए आरक्षण की तिथि 31 अगस्त को जारी करनी थी। शासन ने दो दिसंबर तक तिथि को बढ़ा दिया। जिला पंचायत राज विभाग आरक्षण की नीति के तहत तैयार कर ही रहा था कि एक बार फिर शासन ने तिथि को आगे बढ़ाते हुए छह सितंबर तक बढ़ा दी है।

वहीं सरकार द्वारा तय आरक्षण की नीति के तहत विभाग द्वारा सीटों को आरक्षित करने की तैयारी कर ली गई थी परंतु एक बार फिर शासन ने आरक्षण नीति में कुछ बदलाव के करने के संकेत दिए हैं। सरकार के बार-बार आरक्षण पर बदलते रुख से दावेदारों की नींद हराम हो गई है। पिछले आरक्षण की नीति के तहत विभागीय स्तर पर न सही परंतु अपने सूत्रों के अनुसार वे अपने सीट के आरक्षण की स्थिति जान चुके थे। एक बार फिर होने वाले आरक्षण में बदलाव से सीटों की गणित बदलेगी।

त्रि-स्तरीय पंचायत चुनाव के लिए शासन द्वारा आए दिन आ रहे आरक्षण में बदलाव व सूची जारी करने की तिथि को आगे बढ़ाने से गांवों की राजनीति भी करवट बदल रही है। जो कल तक दूसरे का झंडा बुलंद कर रहे थे वे आज आरक्षण में संशोधन के बाद के हालातों पर दूसरे का साथ दे रहे हैं। आरक्षण को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होने से आए दिन गांवों के राजनीतिक समीकरण बदल रहे हैं। भले ही आरक्षण की स्थिति स्पष्ट नहीं हुई परंतु गांवों में गुटबंदी तेज हो गई है।

पंचायत चुनाव के मद्देनजर आलम यह है कि घर के घर गुटीय ध्रुव में बदल रहे हैं।

शासन की मंशा पर सवाल

आए दिन आरक्षण के नए शासनादेश और आरक्षण की तिथि को लगातार बढ़ाए जाने से गांवों में अलग-अलग निहितार्थ निकाले जा रहे हैं। कोई कह रहा है कि पंचायत चुनाव को लेकर शासन की मंशा ठीक नहीं है, कोई दबी जबान इसे एससी सीटों को कम करने की साजिश बता रहा है। शासन की मंशा जो हो परंतु विकास भवन व खंड विकास कार्यालय दावेदारों से गुलजार हैं।


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