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तमसा की पीड़ा से अंजान रहे सीएम

मऊ : जिले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व सपा सुप्रीमो के आगमन से लोगों को कुछ बेहतर मिलने की उम्मीद थ

By Edited By: Published: Wed, 02 Sep 2015 01:43 AM (IST)Updated: Wed, 02 Sep 2015 01:43 AM (IST)
तमसा की पीड़ा से अंजान रहे सीएम

मऊ : जिले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव व सपा सुप्रीमो के आगमन से लोगों को कुछ बेहतर मिलने की उम्मीद थी। चुनावी समर साध रहे सीएम ने जैसे-तैसे घोषणा कर जिले को संतुष्ट करने का काफी-नाकाफी प्रयास भले ही किया हो, लेकिन नगर की मुख्य समस्या जल प्रबंधन की कमी से गंदे नाले का रुप ले चुकी तमसा नदी के उद्धार पर मंच से एक शब्द भी न बोला जाना नगर के बुद्धजीवियों को अखर गया।

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प्रतिदिन लाखों लीटर गंदे मलजल को निगलने को विवश, अतिक्रमण, अवैध खनन का बोझ सह रही नदी के सुधार के बारे में भी सीएम से उम्मीद थी। जनप्रतिनिधियों द्वारा इस बाबत जानकारी न देने के कारण निरंतर तट पर गिरती गंदगी के साथ अतिक्रमित नदी की पीड़ा से सीएम अंजान ही रह गए।

नदी तट पर स्थित ऐतिहासिक ढेकुलियाघाट श्मसान की हालत दिन प्रतिदिन बिगड़ती जा रही है। तटबंध से नीचे उतरने वाली जर्जर सड़क खतरनाक स्थिति में पहुंच चुकी है। शव को लेकर नीचे उतरने के दौरान यहां पर अक्सर दुर्घटना होती रहती है। चारों तरफ गंदगी के अंबार के बीच अतिक्रमण का शिकार हो रहे इस श्मसान पर प्रशासनिक लापरवाही से जर्जर स्थिति बन गई है।

तटबंध से घाट पर नीचे उतरने के दौरान बनी सड़क की उखड़ी गिट्टी शवयात्रियों के लिए जहां परेशानी का कारण बनती है, वहीं दूसरी ओर चारों तरफ चहारदीवारी और यात्री प्रतीक्षालय की बाट जोह रहे इस श्मसान के दिन कब बहुरेंगे। दूसरी ओर इन दिनों जुआरियों की मनपसंद जगह बनी हुई है। बमघाट, हरिकेशपुरा, बेलवाघाट सहित अनेक स्थानों पर नियमित रुप से जुआ हो रहा है।

नदी तट की ओर प्रशासनिक पहरुओं द्वारा मार्च न किए जाने से जुआरियों की चांदी कट रही है। दोपहर बाद से देर रात तक चलने वाले इन जुओं में प्रतिदिन लाखों के वारे-न्यारे हो रहे हैं। पौराणिक नदी तमसा तटबंध के बाद भीटी ओवरब्रिज पुल के नीचे से लेकर रोज यत्र-तत्र फेंका जाने वाला कचरा अब गांवों के मुहाने तक पहुंचने लगा है। नगरपालिका की सुविधा से अभी वंचित गांवों के तटवर्ती वार्ड में सड़कों के किनारे नित्यप्रति फेंकी जा रही इस गंदगी के संक्रामक रोगों का डर भी बन गया है।

कभी-कभार हो रही बरसात के बाद तेज धूप और उमस के बीच चिकित्सक इसे स्वास्थ्य के लिए घातक बता रहे हैं। वहीं इससे बेपरवाह नगरपालिका की व्यवस्था कूड़ा डं¨पग के लिए जमीन की कमी का रोना रोती नजर आती है। कचरे के बढ़ते प्रभाव से नगर की पर्यावरणीय पारिस्थितिकी के खराब होने की आशंका बलवती हो उठी है।

अतिक्रमण के साथ दर्जनों जगह हो रहा अवैध खनन व हनुमानघाट के साथ ढेकुलियाघाट पर गिरे दो पुल प्रशासन को मुंह चिढ़ाते नजर आ रहे हैं। नदी की मुक्ति के लिए सीएम अखिलेश यादव से नगर के जल निकास व गंदगी से निजात के बाबत कुछ ठोस घोषणा न होने से नगर के बुद्धजीवियों में निराशा का माहौल है।


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