पोखरा खोदाई में गबन, डीएम सख्त
मऊ : जनपद के रानीपुर ब्लाक में सेचुई गांव स्थित पोखरे की खोदाई में 2.58 लाख का गबन पाए जाने पर जिलाध
मऊ : जनपद के रानीपुर ब्लाक में सेचुई गांव स्थित पोखरे की खोदाई में 2.58 लाख का गबन पाए जाने पर जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। प्रथमदृष्टया केवल कागजों पर ही पोखरा खोदाई पाए जाने तथा एकाध की जांच में इसकी पुष्टि होने पर उन्होंने सभी उपजिलधिकारियों को आदेश दिया है कि जल्द से जल्द वर्तमान वित्तीय वर्ष व बीते वित्तीय वर्ष में हुए खोदाई कार्यों की जांच कर रिपोर्ट प्रस्तुत करें। जिलाधिकारी के कड़े तेवर से इसमें लिप्त लोगों में हड़कंप मच गया है। वहीं आम जन में यह उम्मीद जग गई है कि अब शायद करोड़ों रुपये के घोटाले का जिन्न बाहर निकल आए।
रानीपुर ब्लाक के अलीनगर ग्राम पंचायत स्थित सेचुई गांव में लगभग सात एकड़ के सगड़ा नामक पोखरे का वित्तीय वर्ष 2014-15 में मनरेगा के तहत क्षेत्र पंचायत द्वारा तीन लाख 88 हजार 600 रुपये का प्रस्ताव बनाकर कागजों पर ही खोदाई करा दी गई। इतना ही नहीं पोखरे से एक फावड़ा मिट्टी तक की खोदाई नहीं हुई और दो लाख 58 हजार 312 रुपये 217 मजदूरों पर 1652 दिन का कार्य दिवस दिखाकर उतार भी लिए गए। जब यह काला सच ग्रामीणों के समक्ष आया तो वे अवाक रह गए।
ग्रामीणों ने इसकी शिकायत डीएम वैभव श्रीवास्तव से की। जिलाधिकारी ने मामले को संज्ञान में लेते हुए खुद जांच करने का निर्णय लिया। एक अगस्त शनिवार को डीएम, पुलिस अधीक्षक अनिल कुमार ¨सह, मुख्य विकास अधिकारी गिरिजेश त्यागी व डीडीओ एमएल व्यास के साथ अचानक सेचुई गांव धमक गए। जिलाधिकारी ने खुद पोखरे की खोदाई की जांच की।
इसमें पाया गया कि पोखरे की एक फावड़ा भी खोदाई नहीं की गई है। डीएम ने मौके पर मौजूद बीडीओ व एपीओ मनरेगा से जब इस बारे में पूछा तो वे बगले झांकने लगे। इन्हें कड़ी फटकार लगाते हुए रिकवरी का निर्देश दिया। इस मामले में अनियमितता पाते हुए तकनीकी सहायक को निलंबित करने का निर्देश दिया वहीं बीडीओ व एपीओ से स्पष्टीकरण मांगा।
जिलाधिकारी के कड़े तेवर को देख पूरे ब्लाक क्षेत्र में खलबली मची रही। इस अवैध धंधे में लिप्त लोग जिलाधिकारी के पल-पल की कार्रवाई पर नजर गड़ाए रहे। बहरहाल जिलाधिकारी ने आंखों देखी पोखरा खोदाई की सच्चाई को संज्ञान में लेते हुए पोखरों की खोदाई की जांच कराने का निर्णय लिया है।
नहीं बख्से जाएंगे सरकारी पैसे का गबन करने वाले
जिलाधिकारी वैभव श्रीवास्तव ने कहा है कि वर्तमान वित्तीय वर्ष व पिछले बीते वर्षों में हुए आदर्श जलाशय निर्माण सहित पोखरों की खोदाई की जांच सभी उपजिलाधिकारी को सौंपी गई है। एसडीएम सार्वजनिक पोखरों की पत्रावली मंगाकर उस पर खोदाई में खर्च हुए धन व पोखरे की असल स्थिति की जांच करेंगे। इसमें मानक के विपरीत मनरेगा या अन्य योजना से किए गए घोटाले पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। सभी पोखरों की रिपोर्ट आने के बाद इसमें लिप्त लोगों पर अगर सरकारी धन का गबन सिद्ध हुआ तो एफआइआर भी दर्ज कराई जाएगी।
आदर्श जलाशय योजना में भी है बड़ा खेल
केंद्र की संप्रग सरकार की आदर्श जलाशय परियोजना में भी मनरेगा योजना से बड़ा खेल खेला गया। योजना के तहत जिले की सभी ग्राम पंचायतों में एक-एक आदर्श जलाशय खोदा जाना था। लगभग सभी ग्राम पंचायतों में भी जलाशय खोदा गया, परंतु वहीं ढाक के तीन पात। कुछ जलाशयों को छोड़कर अन्य आदर्श जलाशयों में न तो आऊटलेट बने और न ही इनलेट, न ही बो¨रग हुई, यहां तक कि पौधरोपण कराकर जाली भी नहीं लगाई गई। लोगों के बैठने के लिए कही-कहीं सीढि़यां भी बनी तो वे एक सप्ताह में ही टूट गईं। पोखरों के नाम मात्र खोदाई कराकर लाखों रुपये डकार लिए गए।