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छका रहा अबूझ मौसम, बारिश-धूप फिर उमस

मऊ : पिछले 48 घंटे के अंदर ही तापमान में उतार चढ़ाव के साथ मौसम अबूझ पहेली बना हुआ है। रविवार को तीख

By Edited By: Published: Mon, 06 Jul 2015 06:44 PM (IST)Updated: Mon, 06 Jul 2015 06:44 PM (IST)
छका रहा अबूझ मौसम, बारिश-धूप फिर उमस

मऊ : पिछले 48 घंटे के अंदर ही तापमान में उतार चढ़ाव के साथ मौसम अबूझ पहेली बना हुआ है। रविवार को तीखी धूप, रात में जमकर बरसात फिर सोमवार की सुबह नम हवा के साथ आकाश में छाए बादलों से लोगों में बारिश होने की संभावना बनी रही। दोपहर होते-होते तेज धूप और उमस से लोग बेहाल हो गए। यह क्रम शाम तक बना रहा। इस बीच खेती-किसानी के लिए अनुकूल बने मौसम के कारण धान की रोपाई सहित अरहर आदि की बोआई को लेकर भी किसान तत्पर हो गए हैं।

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आसमान में छाए बादल से बारिश की संभावना बनी हुई है। रात में हुई बारिश का पानी के निकास का प्रबंध न होने की वजह से जगह-जगह सड़क पर पानी लगा होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ा। रविवार की रात भर हुई रिमझिम बरसात भोर में तेज हो गई। नम हवा और छाए घने बादलों के बीच सुबह की शुरुआत हुई। दिनभर खुशनुमा मौसम का अंदाज लगा रहे लोगों को दोपहर होते ही मौसम ने छका दिया।

प्रखर धूप के साथ हवा बंद होने से उमस में बढ़ोत्तरी हो गई। अचानक बदले मौसम के असर से दोपहर में ही छुट्टी होने से स्कूल जाने वाले छोटे बच्चे परेशान हो उठे। उमस का असर देर शाम तक बना रहा। शाम को चौआई हवा के बहाव और आसमान में छाए बादलों को देखते हुए सोमवार की रात-भोर तक वर्षा की प्रबल संभावना बनी हुई है। जागरूक किसान राजेश ¨सह ¨ककर, उमाशंकर पांडेय, पूर्व प्रधान हरेंद्र ¨सह, नंद किशोर शर्मा, वीरेंद्र शर्मा, बजडू राजभर ने बताया कि मानसून आने और हल्की बरसात के बीच पहले के तैयार हो चुके संडा की रोपाई तेज हो गई है।

धान की रोपनी भी शुरू हो गई है। इस बीच बिजली की कटौती और जले ट्रांसफार्मर खेती के कार्य में रोड़ा बने हुए हैं। विभाग को तत्परता दिखाते हुए बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करना होगा।

रोपाई के दौरान किसान रहें सचेत

उप कृषि निदेशक डा. आशुतोष मिश्र ने रोपाई के समय किसानों को सचेत रहने को आगाह किया है। कहा कि रोपाई के समय दो से तीन दानों से ज्यादा रोपाई नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही पौधे से पौधे की दूरी का भी ध्यान रखा जाना चाहिए। बताया कि एक वर्ग मीटर में 32 से 36 पौधों की रोपाई होनी चाहिए। इससे कम बीज लगाए जाने पर उपज प्रभावित होती है।


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