खेत से घर की राह रोक रहा मौसम
घोसी (मऊ) : कभी धूप तो चंद पल में अचानक बारिश। पछुआ हवा के बीच अचानक वातावरण में नमी और आसमान में बा
घोसी (मऊ) : कभी धूप तो चंद पल में अचानक बारिश। पछुआ हवा के बीच अचानक वातावरण में नमी और आसमान में बादल। मौसम की मार अब किसानों की किस्मत में बदहाली का रंग भर रही है। खेत में खड़ी फसल, खलिहान में ठप थ्रेसर और मड़ाई के बाद भूसा के साथ गेहूं के दाने (लेणुरी) आ रहे हैं। खेत से अनाज का दाना घर में सुरक्षित पहुंचने की राह में मौसम अवरोधक बन रहा है।
न शासन से नुकसान के अनुसार मुआवजा की आस ना प्रशासन से नुकसान के सही सर्वे की उम्मीद। माथे पर ¨चता की लकीरों की बढ़ती गहराई के बीच कुदरत को कोसता किसान अपनी हालत पर रो रहा है। जिनके खेत में अब भी फसल खड़ी है उसे कंबाइन मशीन का इंतजार है। मौसम का बदलता रंग देख हर किसान यथाशीघ्र कटाई करा लेना चाहता है। बस चारो तरफ मारामारी की नौबत है। इधर मौसम ऐसा रंग बदल रहा है कि कटाई बाधित हो रही है। तनिक सा रुख बदलते ही गेहूं का डंठल मुलायम हो जा रहा है। दूसरी श्रेणी उनकी है जो पशुपालक हैं। इनकी विवशता है कि सारा खेत हार्वेस्टर से नहीं काट सकता। भूसा के लिए हाथ से कटाई जरूरी है। उधर मौसम का रंग देख किसान खलिहान में फसल भींगने से बेहतर खेत में खड़ी फसल का भीगना पसंद कर रहा है। तीसरी श्रेणी में ऐसे किसान हैं जिनकी फसल खेत से आकर खलिहान में अटकी है। मौसम शुष्क न होने से गेहूं का डंठल चढ़ा (सूखा) नहीं है। ऐसे में थ्रेसर में डंठल लिपट जा रहा है, प्रति घंटा होने वाली मंड़ाई की मात्रा घटने से लागत बढ़ रही है और भूसा के साथ दाना भी लेणुरी के रूप में निकल जा रहा है। शुक्रवार को दोपहर बाद मौसम में आए परिवर्तन के बाद तमाम किसानों ने मंड़ाई रोक दी तो कुछ ने जबरन प्रयास किया पर भूसा में दाने की संख्या देख कदम पीछे कर लिया। मौसम के इस रुख से कुछ अपने हाथ खेत में खड़ी फसल काटने में जुटे हैं।