फसल की बर्बादी का सत्यापन करेंगे लेखपाल
मऊ : कुदरत के कहर से किसानों की खेती बर्बाद हो रही है। हालांकि शासन ने राहत कोष के तहत क्षतिपूर्ति य
मऊ : कुदरत के कहर से किसानों की खेती बर्बाद हो रही है। हालांकि शासन ने राहत कोष के तहत क्षतिपूर्ति योजना में असि¨चत क्षेत्र के लिए 9 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर तथा ¨सचित क्षेत्र के लिए 18 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर क्षतिपूर्ति देने की घोषणा कर रखी है। एक ही महीने में पांच बार हुई बारिश से फसलों की बर्बादी का सत्यापन कराने के लिए प्रशासन ने कमर कस ली है। अपर जिलाधिकारी समीर वर्मा ने चारों एसडीएम, तहसीलदारों से कहा है कि गांवों में तैनात लेखपालों से प्रतिदिन रिपोर्ट तलब करें। कोई भी किसान छूटना नहीं चाहिए।
उपजिलाधिकारी को निर्देश दिए गए हैं कि तहसील स्तर पर गांवों के लिए तैनात लेखपाल बर्बाद हुई फसल का सत्यापन करें। जिन किसानों की 50 प्रतिशत से अधिक फसल बर्बाद हो गई हो उन्हें चिह्नित कर रिपोर्ट सौंपें ताकि शासन की क्षतिपूर्ति योजना का लाभ उक्त पीड़ित किसान को दिया जा सके। अपर जिलाधिकारी ने यह भी निर्देश दिया है कि एसडीएम व तहसीलदार स्थिति पर गहरी नजर रखें। प्रतिदिन लेखपालों से रिपोर्ट तलब करें कि कितने किसानों का आंकलन किया गया है और कोई पात्र किसान इससे छूट तो नहीं रहा है। एडीएम समीर वर्मा ने बताया कि सभी एसडीएम व तहसीलदार को निर्देश दे दिए गए है कि इस बाबत गांवों में लेखपालों की सक्रियता बढ़ाकर जल्द से जल्द सत्यापन कार्य पूरा कर लिया जाए।
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सब्सिडी के लिए कराएं रजिस्ट्रेशन
जिला कृषि अधिकारी विकेश पटेल ने बताया है कि खरीफ फसल के लिए अप्रैल माह से शंकर धान का बीज विभाग द्वारा वितरित किया जाएगा। इस बीज के लिए किसान को रेट का पूरा पैसा देना होगा। जबकि जो किसान अपना रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं उनके खाते में सब्सिडी की धनराशि भेजी जाएगी, जो किसान अभी तक रजिस्ट्रेशन नहीं करा पाएं है वे तुरंत कृषि भवन या विकास खंडों पर करा लें। उन्होंने कहा है कि प्राकृतिक आपदा के चलते जिस किसान की फसल 50 प्रतिशत बर्बाद हो चुकी है वह अपनी शिकायत एसडीएम या तहसीलदार से भी कर सकते हैं।