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गोद भरने की जीवंत हुई पुरातन परंपरा

मऊ : नगर स्थित भदेसरा, बख्तावरगंज, भटकुंआ पट्टी व अस्तूपुरा में गुरुवार को शहर बाल विकास परियोजना अध

By Edited By: Published: Thu, 26 Feb 2015 07:24 PM (IST)Updated: Thu, 26 Feb 2015 07:24 PM (IST)
गोद भरने की जीवंत हुई पुरातन परंपरा

मऊ : नगर स्थित भदेसरा, बख्तावरगंज, भटकुंआ पट्टी व अस्तूपुरा में गुरुवार को शहर बाल विकास परियोजना अधिकारी निर्मला ¨सह के नेतृत्व में गर्भवती महिलाओं की गोद भरने का कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान दो दर्जन महिलाओं की गोद भरी गई। गर्भवती महिलाओं की आंचल में फल-फूल तथा दवाएं देकर उन्हें सम्मानित किया गया। इस मौके पर सीडीपीओ श्रीमती ¨सह ने कहा कि गर्भवती महिलाएं समय-समय पर पौष्टिक आहार तो लें ही, साथ ही आंगनबाड़ी केंद्र में आकर वे कार्यकत्रियों से सलाह लेकर टीकाकरण कराएं तथा आयरन गी गोली लें। अब शहर के हर वार्ड मे एएनएम भी बैठ रही हैं तो उन्हें भी इसका लाभ उठाना चाहिए। इस मौके पर सुपरवाइजर पानमती यादव, आशारानी, आंगनबाड़ी कायर्कत्री बीना राय, रेखा राय, सन्नो खातून, प्रीति रानी, रीना राय, मीरा, राजवंती मनोरमा, हेमवंती आदि कई रही।

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इनसेट--

33हजार 511 गर्भवती महिलाओं की होगी गोद भराई

- दिखने लगा महिला सशक्तिकरण का रूप

मऊ : मातृ एवं बाल मृत्यु दर को कम करने के लिए अब आंगनबाड़ी केंद्रो में गर्भवती महिलाओं की गोद भरने का कार्यक्रम शुरू किया गया है। जिले मे अब तक पांच हजार से ज्यादा गर्भवती महिलाओं की गोद भराई की जा चुकी है। इसके तहत उन्हे केद्र में बुलाकर सार्वजनिक रूप से फल,फूल चादर व दवाएं भेटकर सम्मानित किया जा रहा है। यह कार्यक्रम उसी प्रकार से चलाया जा रहा है। जिस प्रकार से बाल कुपोषण में कमी लाने हेतु जोर- शोर से कार्य चल रहा है। जनपद में कुल 33 हजार 511 गर्भवती महिलाओं की गोद भरने और उन्हे प्रसव पूर्व दवाओं एवं पौष्टिक आहार देने के बाबत चल रहे जागरूकता अभियान में आम महिलाओं की भी बढ़ चढ़ सहभागिता रहने से कार्यकत्रियों को भी उत्साह बनाने में मदद मिल रही है।

जिला कार्यक्रम अधिकारी राकेश यादव के निर्देशन में जिले के हर बाल विकास योजनाओं पर सीडीपीओ के तत्वावधान में सुपरवाइजर इस काम को बखूबी अंजाम दे रही हैं। नारी सशक्तिकरण की अवधारणा को परिवार नियोजन व महिला उत्थान जैसे कार्यक्रमों मे जोड़ देने से समाज के अंदर तो बदलाव आ रहा है। उससे आम आदमी खासकर महिलाएं भी प्रभावित होने लगी हैं। इसका सबसे अच्छा प्रमाण यह है कि अब तक जो गर्भवती महिलाएं अपने को छिपा कर रखती थी। अब सर्वजनिक रूप से सम्मानित होने वाले कार्यक्रम में उत्साह के साथ गोद भराई में शामिल हो रही है। महिलाओं की इसी जिजीविषा के कारण समाज में गोद भराई के कार्यक्रम को काफी सराहना मिल रही है।


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