अधिकारों के साथ कर्तव्य बोध भी आवश्यक
मऊ : संविधान में प्रदत्त अधिकारों के साथ ही हमें अपने कर्तव्य का बोध भी होना चाहिए। तभी हम सच्चे नाग
मऊ : संविधान में प्रदत्त अधिकारों के साथ ही हमें अपने कर्तव्य का बोध भी होना चाहिए। तभी हम सच्चे नागरिक के रूप में अपने दायित्वों का निर्वहन कर पाएंगे। यह बातें जनपद न्यायाधीश सीएम दीक्षित ने कही। वह बुधवार को विधिक स्थापना दिवस के अवसर पर दीवानी न्यायालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे।
न्याय पालिका की गरिमा को अक्षुण्ण रखने का आह्वान करते हुए उन्होंने अधिवक्ताओं से कहा कि देश के स्वाधीनता संग्राम से लेकर संविधान व राष्ट्र के नवनिर्माण में वकीलों का विशेष योगदान रहा है। इसलिए समाज में इनका दायित्व और भी बड़ा है। विधिक स्थापना दिवस पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि 26 नवंबर 1949 को भारत का संविधान बनकर पूर्ण हुआ। इसका निर्माण करने वालों ने संविधान की मूल भावना को संरक्षित रखने का दायित्व उच्चतम न्यायालय को दिया है। कानून से बड़ा कोई नहीं होता, इसका एहसास न्यायपालिका ने लोगों को करा दिया है। इसीलिए उच्चतम न्यायालय से लोगों की अपेक्षाएं भी काफी बढ़ी हैं और कानून के प्रति आस्था का भाव भी। उन्होंने न्यायालय परिसर का वातावरण सदैव अच्छा बनाए रखने का आह्वान किया ताकि सबको सुचारु रूप से न्याय मिलता रहे।
समारोह में अपर जनपद न्यायाधीश राजीव गोयल, परिवार न्यायाधीश लालमनी, सिविल कोर्ट सेंट्रल बार एसोसिएशन के अध्यक्ष फतेहबहादुर सिंह, महामंत्री मानसिंह यादव, हरिद्वार राय, अमरनाथ सिंह व हुमा रिजवी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। संचालन जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव सिविल जज इंद्रप्रकाश ने किया। इस मौके पर तमाम न्यायिक अधिकारी और अधिवक्ता उपस्थित थे।