भोजन बनवाने से मदरसा संचालकों का इंकार
मऊ : सरकारी स्कूलों में बंटने वाले मिड-डे-मील की तर्ज पर मदरसों के छात्रों को भी दोपहर में गर्मागरम
मऊ : सरकारी स्कूलों में बंटने वाले मिड-डे-मील की तर्ज पर मदरसों के छात्रों को भी दोपहर में गर्मागरम भोजन परोसने के लिए शिक्षा व अल्पसंख्यक विभाग के अधिकारियों को ठंड के मौसम में भी पसीना बहाना पड़ रहा है। वहीं मदरसा संचालकों एवं इसके उस्तादों के लिए यह योजना गले की हड्डी बन गई है। इसे न उगलते बन रहा है न निगलते।
दिसबंर माह से इसको शुरू कराने के लिए जिला स्तर पर एक कार्ययोजना तैयार कर ली गई है पर मदरसों मे छात्रों के ठहराव व अधिक संख्या के चलते योजना को मूर्त रूप देने और इसके शुरू हो पाने में संशय के बादल अभी तक नही छंट पाए हैं। बीते दिनों इस मुद्दे को लेकर कलेक्ट्रेट में हुई बैठक भी हुई थी। इसमें अधिकांश मदरसा संचालकों ने इसको संचालित करने में आने वाली दिक्कतों का हवाला दिया। चूंकि इस बैठक में अल्पसंख्यक अधिकारी नहीं थे। इसलिए कोई ठोस निर्णय नही लिया जा सका। मदरसों में मिड-डे-मील योजना शुरू कराने का मामला प्रदेश सरकार की प्राथमिकता वाले कार्यक्रमों मे शुमार है। साथ ही सरकार की यह योजना उसके ड्रीम प्रोजेक्ट का एक अंग होने के कारण विभाग हर हाल में इसको पहली दिसबंर से लागू करने के लिए कार्ययोजना तैयार करने में लगा हुआ है।
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मदरसों मे मध्याह्न भोजना चलना संभव नहीं
मैनेजर एसोसिएशन मदारिस अरबिया की स्थानीय इकाई के लोगों का मानना है कि जिले में कुल 35 मदरसे चलते हैं। इसमें से अधिकांश मदरसे आवासीय हैं। मदरसों में जो बाहरी छात्र पढ़ते हैं। उनके लिए हास्टल सुविधा है। स्थानीय छात्र सुबह सात बजे मदरसा आते हैं और दोपहर बारह बजे चले जाते है। सुबह घर से नाश्ता करके आते है और दोपहर में घर का भोजन करते है। इसलिए मिड-डे-मील की उन्हें आवश्यकता ही नहीं है।
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एनजीओ लगाकर बंटवाएंगे भोजन
जिला अल्पसंख्यक अधिकारी विजय प्रताप यादव का कहना है कि मदरसे के लोग अगर मिड-डे-मील को नहीं बनवाएंगे तो बेसिक शिक्षा विभाग द्वारा जिस तरह नगर के प्राथमिक स्कूलों में एनजीओ द्वारा भोजन बंटवाया जाता है। उसी प्रकार एनजीओ से छात्रों को भोजन भेजवाया जाएगा।