ठंड : पीठ व जोड़ों के प्रति रहें सतर्क
मऊ : ठंड की शुरुआत में ही पीठ व जोड़ों के दर्द के रोगी सावधान हो जाएं। लंबी दूरी तक टूटी-फूटी सड़कों प
मऊ : ठंड की शुरुआत में ही पीठ व जोड़ों के दर्द के रोगी सावधान हो जाएं। लंबी दूरी तक टूटी-फूटी सड़कों पर दौड़ती मोटर साइकिल ड्राइविंग, लंबे समय तक कंप्यूटर पर बैठ कर काम करना, देर तक टेढ़े-मेढ़े तरीके से लेट कर या बैठ कर पढ़ाई करना या टेलीविजन देखना जैसी आधुनिक जीवन शैली के बीच ठंड के मौसम में पीठ और जोड़ों के दर्द के बढ़ जाने की संभावना है। यह कहना है वरिष्ठ आर्थोसर्जन डॉ. पवन कुमार गुप्ता का।
उन्होंने कहा कि पीठ की बीमारियों में विशेषत: डिस्क प्रोलैप्स एवं रीढ़ की हड्डी की टीबी पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। रीढ़ की टीबी अमूमन तौर पर निम्न आयु वर्ग के जवान पुरुष, महिलाओं में होती है। इस बीमारी के रीढ़ को जकड़ने के लक्षण हमेशा पीठ में दर्द रहना, भूख कम हो जाना, निरंतर वजन कम होते जाना एवं मरीज का हल्का बुखार हरारत की शिकायत करना इत्यादि है। इससे हड्डियों के मुरमुरे हो जाने एवं मवाद होने से बीच से जाने वाली स्पाइनल कार्ड पर दबाव पड़ता है। इसकी वजह से पीठ में दर्द एवं पैरों में ज्यादा दर्द भी महसूस किया जाता है। शुरूआती बीमारी टीबी की दवाओं एवं आराम करने से ठीक होती है। ठंड का प्रभाव बढ़ने के साथ ही दर्द के निवारण के लिए चिकित्सालय में तुरंत संपर्क करना चाहिए। लापरवाही से ठंड के मौसम में रोग की तीव्रता बढ़ सकती है।