कटान से चिंऊटीडांड की बदली भौगोलिक स्थिति
दोहरीघाट (मऊ) : घाघरा से हो रही कटान ने चिंऊटीडांड की भौगोलिक स्थिति को बदल कर रख दिया। कभी पश्चिम स
दोहरीघाट (मऊ) : घाघरा से हो रही कटान ने चिंऊटीडांड की भौगोलिक स्थिति को बदल कर रख दिया। कभी पश्चिम से पूर्व की ओर बहती नदी आज लगभग चार किमी दूर दक्षिण से उत्तर की ओर बहने लगी है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के प्रयास से कटान रोकने के लिए बने चार ठोकर सिचाई विभाग की लापरवाही से नदी में समा चुके हैं। अबतक करोड़ों रुपये के बोल्डर नदी की गर्भ में समा चुके हैं। कटान रोकने के लिए अबतक सिचाई विभाग द्वारा किया गया प्रयास असफल साबित होता नजर आने लगा है।
पहले जिस स्थान पर नदी बहा करती थी। आज वहां सिल्ट की मोटी परत जमी हुई है। कभी गन्ना, धान-गेहूं वाले खेतों के बीचोबीच आज नदी की वेगवती धारा बह रही है। चिंऊटीडांड में कटान ने भौगोलिक स्थिति को बदल कर रख दिया है। निरंतर कटान कर रही धारा अभी भी नए परिवर्तन के मुहाने पर खड़ी दिख रही है। बंधे के करीब आकर बह रही तेज धारा से स्थिति संवेदनशील बनी हुई है। इस दिशा में सिचाई विभाग की कार्रवाई पर लोगों का भरोसा नहीं रह गया है।
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एक करोड़ 12 लाख नदी के गर्भ में
इस वर्ष सिचाई विभाग द्वारा कटान रोकने के लिए 140 ट्रक बोल्डर नदी में डाले जा चुके हैं। एक ट्रक बोल्डर की कीमत लगभग 80 हजार रुपये बताई जा रही है। इस लिहाज से लगभग एक करोड़ 12 लाख रुपये का बोल्डर नदी में कटान रोकने के लिए गिराया जा चुका है। बावजूद इसके भी स्थिति जस की तस बनी हुई है।
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इंदिरा जी का प्रयास नदी में समाया
दो अगस्त 1978 को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने दोहरीघाट राज्यमार्ग से पैदल चलकर धनौली तक की यात्रा किया। निरीक्षण के बाद उनके प्रयास से यूपी सरकार ने कटान रोकने के लिए चार ठोकर को निर्माण कराया था। विभाग की लापरवाही के चलते लहरों से टकराकर ठोकर नदी में समा चुके हैं। नदी के उतार की स्थिति में जीर्ण-शीर्ण अवस्था में ठोकर दिखाई देते हैं।
क्षेत्र के प्रगतिशील किसान रामबचन राय, मारकंडेय राय, प्रजापति राय, लपेटू यादव ने बताया कि वर्षो तक उस ठोकर से कटान नहीं हुई। विभागीय लापरवाही और रखरखाव न होने के चलते ठोकर का अस्तित्व समाप्त हो गया।