बारिश के इंतजार में खाली रह गए खेत
मऊ : ग्लोबल वार्मिग के इस दौर में जेठ और सावन का पता ही नहीं चल पा रहा है। एक तरफ धूप, धूल और उमस तो दूसरी तरफ खेत में धान नहीं रोप पाने की बेबसी। इससे किसानों के सामने पूरे साल के आजीविका की समस्या मुंह बाए खड़ी हो गई है। सुबह से ही कड़ाके की धूप उग जा रही है, इससे आम जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
सावन माह बारिश का महीना होता है। इस वर्ष जुलाई माह में अभी तक लगभग सौ मिमी ही बारिश हुई है। वर्षा ऋतु की शुरुआत से ही कभी ऐसा प्रतीत नहीं हुआ कि बारिश का मौसम चल रहा है। आलम यह कि सुबह से ही भगवान भास्कर की सीधी किरणें शरीर बेधने को आतुर दिख रही है। दोपहर होते ही सड़के जहां सूनी पड़ जा रही हैं, वहीं आवागमन के लिए लोग मई-जून की गर्मी की भांति सुबह शाम घरों से निकलना ही मुनासिब समझ रहे हैं।
बारिश नहीं होने से एक तरफ जहां लोगों को गर्मी, तेज धूप व उमस से दो चार होना पड़ रहा है वहीं किसानों की धान की रोपाई भी नहीं हो पा रही है। जो किसान किसी तरह धान की रोपाई भी कर लिए उनके समक्ष धान को सूखे से बचाने की एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। हजारों एकड़ खेतों में पानी के अभाव से धान की रोपाई नहीं हो सकी है।