आम के बौर पर मौसम का असर
घोसी (मऊ) : मौसम के बदले मिजाज से महज इंसान और पशु ही नहीं वरन पेड़-पौधे भी प्रभावित हैं। कई दिनों से आसमान में छाई बदली और रूठी धूप के चलते फसलों के साथ ही बागवानी फफूंद रोगों की चपेट में आ गई है। धूप न होने से पत्तियां वृक्ष के लिए पर्याप्त भोजन नहीं बना पा रही हैं।
दरअसल पादप जगत अपनी पत्ती में विद्यमान क्लोरोफील के चलते सूर्य के प्रकाश में ही प्रकाश संश्लेषण की क्रिया संपादित करता है। जड़ से पानी एवं कार्बनिक तत्व शोषित कर वातावरण से आक्सीजन लेकर पौधे भोजन के रूप में ग्लूकोज तैयार करते हैं। इस माह चंद दिन ही धूप निकली है। कई दिनों तक अनवरत बदली छाई रही है। इसके चलते भोजन बनाने की क्रिया धीमी हो गई है। इससे पौधों की वृद्धि प्रभावित हो रही है। आम के वृक्ष में बौर आने का समय है। इन दिनों अधिक भोजन की आवश्यकता होती है। पर पर्याप्त धूप न मिलने से बौर निकलने और बौर के निषेचन की क्रिया भी प्रभावित होती है। इससे इतर बदली के चलते फफूंद रोग ने बौर पर आक्रमण कर दिया है। इसका एक अन्य प्रतिकूल प्रभाव यह कि फफूंद रोग के कारण पुष्प की निषेचन क्रिया यानी बौर से निकलने वाले आम की मात्रा में कमी आने की आशंका है।
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धूप निकलते ही करें छिड़काव-उद्यान विभाग
घोसी (मऊ): उद्यान निरीक्षक हरिश्चंद्र यादव कहते हैं कि धूप निकलते ही बागवां कापर फंजीसाइड (ताम्रयुक्त फफूंदी रसायन) पाउडर की दो ग्राम मात्रा एवं किसी भी कीटनाशक की दो मिलीलीटर मात्रा एक लीटर पानी में घोल लें। ऐसे बीस लीटर के घोल में 20-25 ग्राम किसी वाशिंग पाउडर की मात्रा मिला दें। इस घोल का तीन बार छिड़काव करें। प्रथम छिड़काव धूप निकलने के बाद और दूसरा पंद्रह दिनों बाद करें। जब फल सरसों के दाने से बड़ा और मटर के दाने से छोटा हो तो तीसरा छिड़काव करें। श्री यादव ने बौर से फूल निकलने के बीच कदापि छिड़काव न करने की सलाह दी है।
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