कहां है नगर निगम की शासन को भेजी डीपीआर
जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने एनजीटी में अपनी खाल बचाने के लिए गलत जवाब द
जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने एनजीटी में अपनी खाल बचाने के लिए गलत जवाब दाखिल कर दिया है। उसने दावा किया है कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट्स के विस्तार के लिए उसने शासन को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट भेजी है। हकीकत यह है कि एसटीपी संचालन में लापरवाही का आरोप लगाने वाली याचिका दायर होने से पहले और बाद में नगर निगम ने शासन को कोई डीपीआर नहीं भेजी। सूचना के अधिकार में जब निगम से डीपीआर के बारे में जानकारी मांगी तो वह जवाब देने से कतरा रहा है।
राष्ट्रीय हरित अधिकरण में सिटीजन वेलफेयर सोसायटी की लंबित याचिका पर अंतिम सुनवाई आगामी 7 सितंबर को होनी है। पिछली सुनवाई में मथुरा-वृंदावन नगर निगम ने जवाब दाखिल करते हुए कहा कि मथुरा में स्थापित तीन सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता केवल 46 एमएलडी की है। शहर से रोजाना 90 एमएलडी कचरा उत्सर्जित होता है। ऐसे में एसटीपी विस्तार को उसने शासन को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) भेजी है। इस जवाब पर एनजीटी ने शासन को दिशा निर्देश जारी किए कि वह मथुरा में स्थापित एसटीपी की संख्या और क्षमता बढ़ाए।
नगर निगम प्रशासन के दावे की सच्चाई का पता लगाने के लिए सिटीजन वेलफेयर सोसायटी के सचिव राजीव कुमार ¨सह ने सूचना के अधिकार में कथित डीपीआर की प्रति मांगी है, जो अभी तक उपलब्ध नहीं कराई गयी है। राजीव कुमार ¨सह का कहना है कि वह इस मामले में अंतिम सुनवाई के दौरान निगम प्रशासन की इस हरकत से एनजीटी को अवगत कराएंगे। उनका दावा है कि वर्तमान नगर निगम और पूर्व नगर पालिका प्रशासन ने अपनी ओर से कोई डीपीआर शासन को नहीं भेजी है। इस मामले में उसने एनजीटी को गुमराह किया है। अलबत्ता जल निगम की ड्रेनेज एंड सीवरेज इकाई की ओर से एक डीपीआर ढाई साल पहले शासन को भेजी गयी थी। 185 करोड़ की इस डीपीआर को स्वीकृत करने में पूर्ववर्ती अखिलेश सरकार असमर्थता जताते हुए केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय को भेज चुकी है। इस मंत्रालय में यह डीपीआर करीब दो साल से धूल फांक रही है। उनके मुताबिक निगम प्रशासन अपने स्तर से एसटीपी संचालन कागजों पर ही कर रहा है। तीनों एसटीपी में कुल दस एमएलडी पानी भी साफ नहीं किया जा रहा।
- हमने उसी डीपीआर का एनजीटी में जिक्र किया है, जो जल निगम ने नमामि गंगे में भेजी है। जिलाधिकारी ने भी पत्राचार किया है। हमारा प्रयास उसी को स्वीकृत कराने का है।
- ब्रजेश कुमार, सहायक नगर आयुक्त, मथुरा-वृंदावन नगर निगम