ब्रज भूमि पर पड़े थे दो सिख गुरुओं के कदम
जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा सिखों के लिए भी पावन भूमि है। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव
जागरण संवाददाता, मथुरा: मथुरा सिखों के लिए भी पावन भूमि है। सिखों के प्रथम गुरु गुरुनानक देव और गुरु तेग बहादुर मथुरा आए थे। गुरुनानक देव गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची पर एक माह से ज्यादा रहे थे। यह स्थल अब सिखों का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है। गुरुनानक बगीची में अखंड पाठ गुरुवार से आरंभ हो गया है। इसका समापन शनिवार को होगा।
गुरुनानक देव अपने शिष्य मरदाना और बाला के साथ अगस्त 1512 में हरिद्वार से मसानी बगीची आए थे। करीब चालीस दिन उन्होंने यहां लोगों को परमेश्वर का पाठ पढ़ाया। संगत से कुएं के खारे पानी के बारे में उन्हें बताया गया, तो उन्होंने कुएं का पानी मीठा कर दिया। वे वृंदावन भी गए थे। उस स्थान को गुरुनानक टीला के नाम से भी जानते हैं। शनिवार सुबह साढ़े नौ बजे अखंड पाठ का समापन होगा। इसके बाद कीर्तन, कथा, गुरुवाणी, विचार आदि कार्यकम दोपहर दो बजे तक चलेंगे। गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची के मुख्य ग्रंथी गोपी ¨सह ने बताया कि शनिवार को सबद कीर्तन और लंगर के आयोजन होंगे।
2006 में शुरू हुआ जीर्णोद्धार
गुरुद्वारा गुरुनानक बगीची का जीर्णोद्धार वर्ष 2006 में शुरू हुआ था। अभी भी कार्य चल रहा है।
1665 में आए थे गुरु तेग बहादुर
होली गेट स्थित गुरुद्वारा गुरु ¨सह सभा में गुरु तेग बहादुर 1665 में दिल्ली से मथुरा आए थे। उन्होंने लोगों को भ्रम जाल से बचाकर ¨जदगी के महत्व, सच और गुरु के नाम सिमरन का उपदेश दिया। माना जाता है कि गुरु गो¨वद ¨सह भी यहां आए थे।