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रामराज्य परिषद का दो दिवसीय अधिवेशन आज से

मथुरा, वृंदावन: धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज द्वारा गठित रामराज्य परिषद का दो दिवसीय अधिव

By JagranEdited By: Published: Tue, 03 Oct 2017 12:00 AM (IST)Updated: Tue, 03 Oct 2017 12:00 AM (IST)
रामराज्य परिषद का दो दिवसीय अधिवेशन आज से
रामराज्य परिषद का दो दिवसीय अधिवेशन आज से

मथुरा, वृंदावन: धर्म सम्राट स्वामी करपात्री महाराज द्वारा गठित रामराज्य परिषद का दो दिवसीय अधिवेशन वृंदावन में आयोजित होगा। इसमें धर्म नियंत्रित, पक्षपात विहीन शोषणमुक्त, सनातन शासन तंत्र की स्थापना का शंखनाद होगा।

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बुर्जा मार्ग स्थित हरीहर आश्रम में 3 अक्टूबर से आयोजित होने वाले दो दिवसीय अधिवेशन की जानकारी देते हुए पुरी पीठाधीश्वर जगद्गुरु शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि धर्म तथा आध्यात्म पथ पर चलने के लिए देहनाश से आत्मा का अनाश के सिद्धांत में आस्था की जरूरत है। उन्होने कहा कि अधिवेशन में पृथ्वी, पानी, प्रकाश ऊर्जा के प्रत्यक्ष चार स्त्रोतों को परिस्कृत रखते हुए वंश परंपरा तथा संयुक्त परिवार को सुरक्षित रखने, सबकी जीविका जन्म से सुलभ करने, शिक्षा, रक्षा, न्याय, कृषि, गौरक्षा, वाणिज्य, सेवा तथा कुटीर और लघु उद्योग के सनातन प्रकल्प को सनातन विधा से क्रियान्वित करने पर मंथन होगा। अधिवेशन का पहला सत्र 3 अक्टूबर की शाम 7 से 9 बजे तक आयोजित होगा। जिसमें विद्वान विवेक मिश्र द्वारा स्वागत भाषण, प्रतिनिधियों और रामराज्य का परिचय दिया जाएगा। इसके बाद रामराज्य परिषद की कार्यप्रणाली का सर्वसम्मति से निर्धारण होगा। दूसरे दिन 4 अक्टूबर की सुबह 10 से 12 बजे तक दूसरे सत्र में शंकराचार्य महाभाग द्वारा मार्गदर्शन व रामराज्य परिषद का कार्यक्षेत्र सर्वसम्मति से निर्धारत होगा। इसी दिन शाम को 5 से 7 बजे तक तीसरे और अंतिम सत्र में आयोजित संगोष्ठी में व्यासपीठ के उन्नयन की रूपरेखा तथा अगले साल होने वली संगोष्ठी के स्थान और समय का निर्धारण होगा। इस दौरान रामराज्य परिषद की वेबसाइट का लोकार्पण शंकराचार्य महाभाग द्वारा किया जाएगा। अधिवेशन में देश के प्रकांड विद्वान शिरकत करेंगे।

ऐसा है तो आत्ममंथन करें मोदी

सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जूता पहनकर प्रभु श्रीराम की आरती करने के सवाल पर शंकराचार्य ने कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो निश्चित ही मोदी को आत्ममंथन की जरूरत है। मगर, जो व्यक्ति संसद में प्रवेश करने से पहले उसकी देहरी को प्रणाम करता हो, उससे इस तरह की उम्मीद नहीं की जा सकती।


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