फलदार बगिया की बलि लेगा गंगाजल प्रोजेक्ट
मथुरा, कराहरी: एक तरफ जहां शासन प्रशासन जगह-जगह पौधरोपण का अभियान चला रहा है वह
मथुरा, कराहरी: एक तरफ जहां शासन प्रशासन जगह-जगह पौधरोपण का अभियान चला रहा है वहीं दूसरी ओर गंगाजल प्रोजेक्ट हरे पेड़:पौधे व बाग-बगीचों मे लगे फलदार पौधों को उजाड़ने जा रहा है। किसानों का कहना है कि बाग उजड़ गया तो परिवार के लालन-पालन की परेशानी आ जायेगी। किसानों का आरोप है कि प्रोजेक्ट के अधिकारी फलदार वृक्षों का मुआवजा भी अपने मनमानी रेट से देने को कह रहे हैं।
आगरा को गंगाजल पिलाने के लिए बुलंदशहर से आगरा तक बिछाई जा रही पाइप लाइन निचली मांट ब्रांच गंग नहर के किनारे खेतों से होकर जा रही है। किसान इसे अपने साथ छलावा करार दे रहे हैं। किसानों ने बताया कि गंग नहर की बगिया मे आम, अमरूद, बेर आदि के दो सैकड़ा से अधिक फलदार पौधे लगे हैं। उन वृक्षों से हर वर्ष किसानों को हजारों रुपये की आमदनी होती है।
कराहरी के किसान शैलेंद्र ¨सह का कहना है कि तीन साल के अधिग्रहण के लिए भूमि ली जा रही है और केवल एक साल का 32 रुपया वर्ग मीटर पाइप लाइन के लिए जमीन ली जा रही है, जिसका करार जल निगम करा रहा है। किसान को कोई भी प्रमाण नहीं दिया जा रहा है कि उनकी जमीन को कितने दिन के लिए जा रहा है और जो ठेकेदार साइड पर काम करा रहे हैं वे किसानों से 25 मीटर जमीन 11 रुपया वर्ग मीटर के हिसाब से 3 महीने तक किराये पर ले रहे हैं।
किसानों का कहना है कि बेर के पेड़ पर चार से पांच ¨क्वटल फल आता है, जो पांच हजार से छह हजार रुपये की कीमत तक बिकता है। बावजदू इसके विभाग उद्यान विभाग से केवल पचास रुपये की आमदनी बताकर छलने को तैयार है। किसान लोकेंद्र पाल ¨सह ने बताया कि पाइप लाइन की खोदाई में निकली मिट्टी से खेतों मे अतिक्रमण हो रहा है, जो किसानों को मुआवजा राशि मिलेगी, उससे मिट्टी को समतल भी नहीं करा सकते। किसान सतेंद्र ¨सह ने कहा कि गंग नहर के किनारे हमारा पुश्तैनी बाग है, जिसमें सैकड़ों तरह के फलदार वृक्ष लगे हैं। उस बाग को भी गंगाजल की पाइप लाइन लगने को उजाड़ने की फिराक मे विभाग चक्कर लगा रहा है। किसानों की पीड़ा यह है कि विभाग अपने हिसाब से मुआवजा देने की बात कर रहा है वह किसान के नुकसान का सही आकलन नहीं कर रहा।