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जयगुरुदेव मेला के अंतिम दिन उमड़ी भारी भीड़

जागरण संवाददाता, मथुरा : जयगुरुदेव आश्रम में आयोजित वार्षिक भंडारा सत्संग-मेला का आज आखिरी

By JagranEdited By: Published: Wed, 29 Nov 2017 11:24 PM (IST)Updated: Wed, 29 Nov 2017 11:24 PM (IST)
जयगुरुदेव मेला के अंतिम दिन उमड़ी भारी भीड़
जयगुरुदेव मेला के अंतिम दिन उमड़ी भारी भीड़

जागरण संवाददाता, मथुरा : जयगुरुदेव आश्रम में आयोजित वार्षिक भंडारा सत्संग-मेला का आज आखिरी दिन था। भक्तों से खचाखच भरे प्रांगण में बाबा पंकज महाराज ने अपने भक्तों को जीव और आत्मा के बारे में बताया। उन्होंने इस दौरान महात्मा और फकीरों के संसार में आने का कारण भी बताया। कहा कि महात्मा, फकीर संसार में जीवों को भवसागर से पार करने के लिए आते हैं।

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आज नेशनल हाईवे स्थित जयगुरुदेव के आश्रम में भारी भीड़ रही। मेला का अंतिम दिन होने के कारण बाबा के भक्त अपने आराध्य के इस कार्यक्रम में भाग लेना चाहता था। इस बार बीते साल के मुकाबले अधिक भीड़ जुटी। इससे समझा जाता है कि बाबा जयगुरुदेव के देहावसान के बाद उठे विवाद के बीच गिरी गरिमा को यह केंद्र फिर से पाने लगा है। नए बाबा पंकज महाराज की पकड़ अब श्रद्धालुओं पर धीरे-धीरे बनने लगी है। भक्तों ने सड़कों तक पर डेरा डाल रखा था। जय गुरुदेव आश्रम के पीछे बसों की कतारें सड़क के दोनों और दो किलोमीटर दूर सलेमपुर से पहले तक लगी थी। नेशनल हाईवे पर भी दिन भर भक्त उमड़ते रहे। इससे रुक-रुककर यातायात चल सका। बुधवार शाम भंडारे के बाद मेला समाप्ति की घोषणा हो जाएगी। इसके साथ ही भक्तों के जाने का सिलसिला शुरू होगा। अंतिम दिन अपने प्रवचन में बाबा पंकज महाराज ने कहा कि ईश्वर ने मानव तन दिया, यह उसकी सबसे बड़ी कृपा है। मनुष्य इस संसार में पैदा हुआ तब न कोई नाम, कौम, जाति, मजहब लेकर आया। कर्म के अनुसार जाति बन गई। जीव के साथ केवल अच्छे-बुरे कर्म ही जाते हैं, जिसका फल भोगना पड़ता है। इसलिये बुद्धि से विचार करना चाहिए और बुराइयों को छोड़कर इस नर देह को सफल बनाने के लिए कार्य करना चाहिए। दुबारा आपको मनुष्य शरीर मिलने वाला नहीं है।

राष्ट्रीय उपदेशक बाबूराम ने बताया कि मोह ही जीव को संसार में बार-बार लाता है। यह ही सभी परेशानियों का कारण है। मोह के कारण मनुष्य गलत कार्यों में संलिप्त हो जाता है। संसार के सभी मनुष्य रोगी हैं। सबको कोई न कोई रोग लगा हुआ है। संतमत की साधना ज्ञान प्राप्त करने का रास्ता है। साधना से ही रोगों का छुटकारा होता है। होली कार्यक्रम में भाग लेने के संकल्प के साथ अधिकांश लोग अपने घरों को वापस लौटने लगे हैं।


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