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मथुरा में फूल-गुलाल तो काशी में चिता के भस्म से होली

मथुरा में फूलों की कोमलता और रंगीनियां लिए होली का धमाल मचा तो काशी में महाश्मशान पर जलती चिताओं की राख से होली खेली गई।

By Nawal MishraEdited By: Published: Thu, 09 Mar 2017 07:32 PM (IST)Updated: Thu, 09 Mar 2017 07:37 PM (IST)
मथुरा में फूल-गुलाल तो काशी में चिता के भस्म से होली
मथुरा में फूल-गुलाल तो काशी में चिता के भस्म से होली
लखनऊ (जेएनएन)। मथुरा वृंदावन में फूलों की कोमलता और रंगीनियां लिए होली का सतरंगी धमाल मचा तो बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी में महाश्मशान पर जलती चिताओं की राख से होली खेली गई। मथुरा में मीरा बन कृष्ण की शरण में जीवन गुजार रहीं वृंदावन और बनारस की वृद्धाओं ने कान्हा के साथ होली खेली तो उनका मन उमंगों से भर गया। काशी में शिव के ही अंश माने जाने वाले बाबा मसाननाथ को भस्म औऱ अबीर चढ़ाकर भक्‍तों ने एक दूसरे को चिता का भस्म लगाया। इस अद्भुत होली मे  अंतिम संस्कार करने आए लोग भी शामिल हुए।
सप्त देवालयों में होली का उल्लास
मथुरा के सप्त देवालयों में प्रमुख गोपीनाथ मंदिर में यह आयोजन किया गया था। वर्ष 2012 से सुलभ इंटरनेशनल कृष्ण भक्ति में लीन रहने वाली विधवाओं के लिए होली के इस आयोजन की शुरुआत की थी। सुबह ठीक साढ़े ग्यारह बजे मंदिर में मौजूद हजारों वृद्ध विधवाओं के बीच सुलभ इंटरनेशनल के अध्यक्ष बिंदेश्वरी पाठक के पहुंचते ही फूलों की होली शुरू हो गई। होली के गीतों के बीच कान्हा पर फूलों से लाड़ बरसाती महिलाएं अपनी खुशी को छिपा नहीं पा रही थीं। फूलों से शुरू हुई होली देखते ही देखते अबीर और गुलाल के गुबार में बदल गई। मंदिर में धरती से लेकर आसमान तक सब कुछ रंगीन नजर आने लगा। सफेद साड़ी पहनने वाली विधवाएं भी रंगों से सराबोर हुईं तो उनके मन भी सतरंगी नजर आने लगे।  इस होली में पंद्रह कुंतल फूल और गुलाल का इस्तेमाल हुआ। लगातार पांचवें साल सुलभ इंटरनेशनल द्वारा आयोजित रंगों के इस त्योहार में विधवाओं ने जमकर आनंद उठाया। 
महाश्‍मशान पर चिता संग होली 
राग और विराग की नगरी काशी में मणिकर्णिका घाट पर महाश्मशान पर बाबा भोले के भक्तों ने गुरुवार को चिता भस्म की होली खेली। इसके साथ ही महाश्मशाननाथ का पूजन कर होली और अन्‍य के अनुष्ठान शुरू किए। काशी की यह रंगभरी एकादशी के बाद विधान युगों पुरानी मानी जाती है। मान्यता है अपने गौना के दूसरे दिन बाबा भक्तों और अपने गण यानि भूतों व औघडों के बीच आते हैं और उनके साथ अलग उत्सव मनाते हैं। इसी परंपरा के निर्वहन में रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन भक्तों ने गुरुवार को महाश्मशान मणिकर्णिका घाट पर भस्म व अबीर से होली खेली। परंपरा के अनुसार पहले शिव के ही अंश माने जाने वाले बाबा मसाननाथ को भस्म औऱ अबीर चढ़ाकर भक्‍तों ने एक दूसरे को भस्म लगाया। काशी की इस अद्भुत होली मे शव का अंतिम संस्कार करने आए लोग भी काफी खुश होकर शामिल हुए।

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