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मंदिर में सजेगी चौपड़, खिलाड़ी होंगे राधाबल्लभ

जागरण संवाददाता, वृंदावन: दीपावली पर चौपड़ खेलने का शगुन की रस्म ठाकुरजी भी पूरी करने ज

By JagranEdited By: Published: Wed, 18 Oct 2017 12:03 AM (IST)Updated: Wed, 18 Oct 2017 12:03 AM (IST)
मंदिर में सजेगी चौपड़, खिलाड़ी होंगे राधाबल्लभ
मंदिर में सजेगी चौपड़, खिलाड़ी होंगे राधाबल्लभ

जागरण संवाददाता, वृंदावन: दीपावली पर चौपड़ खेलने का शगुन की रस्म ठाकुरजी भी पूरी करने जा रहे हैं। यहां के मंदिरों में दीपावली पर ठाकुरजी चौपड़ खेलेंगे। ठाकुरजी के प्रतिनिधि बनकर सेवायल चाल चलेंगे। चौपड़ से संबंधित पद गायन भी होगा।

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प्राचीन श्रीराधाबल्लभ मंदिर, श्रीराधारमण और गो¨वददेव मंदिर में ठाकुरजी चांदी की हटरी में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन देंगे। श्रीविग्रह के सामने इस दिन चौपड़ बिछाई जाएगी। सेवायत चांदी और हाथी दांत से बनी गोटियों से चौपड़ का खेल उनका प्रतिनिधि बनकर खेलते हैं। परपंरा के अनुसार, खेल श्रीकृष्ण और श्रीराधाजी के मध्य होगा। इसमें श्रीकृष्ण की ओर से एक सेवायत और श्रीराधाजी की ओर से दूसरा सेवायत प्रतिनिधि बनेगा। आश्चर्य की बात तो ये है कि इस खेल में जीत हमेशा राधाजी की होती है। इस पारंपरिक खेल को लेकर पद भी रचे गए हैं। इनका गायन सेवायत करेंगे। वर्षोत्सव के पदों की प्राचीन पांडुलिपियां चौपड़ उत्सव के इतिहास का बोध कराती हैं। सूरदास के पदों में इस परंपरा का उल्लेख मिलता है। राधाबल्लभ संप्रदाय साहित्य वैष्णव संप्रदाय के प्राचीन साहित्य में भी चौपड़ का उल्लेख है।

उत्तर मध्यकाल में औरंगजेब की दमनकारी नीतियों से जब ब्रज की मंदिर संस्कृति भारत के अन्य अंचलों में पहुंची तो चौपड़ की परंपरा भी साथ गई। श्रीनाथद्वारा, करौली, जयपुर और मध्यप्रदेश के दतिया में विराजमान ब्रज के श्रीविग्रहों के समक्ष आज चौपड़ खेलने की परंपरा है। ब्रज संस्कृति शोध संस्थान के सचिव लक्ष्मीनारायण तिवारी ने बताया कि वर्षोत्सव की पोथियां में भी चौपड़ का खेल और पद गायन परंपरा से जुड़ा साहित्य मौजूद है। वृंदावन शोध संस्थान के सहसंपादक डॉ. राजेश शर्मा बताते हैं कि मुद्रण तकनीक से पूर्व प्रत्येक मंदिर की परंपरा के अंतर्गत वर्षभर के उत्सव क्रम में इन पदों का संकलन होता था।


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