सच्चिदानंद निकुंज में विराजे ठा.राधारमण
जागरण संवाददाता, वृंदावन (मथुरा): ठा. राधारमण मंदिर में चल रहे ग्रीष्म निकुंज सेवा महामहोत्सव में गु
जागरण संवाददाता, वृंदावन (मथुरा): ठा. राधारमण मंदिर में चल रहे ग्रीष्म निकुंज सेवा महामहोत्सव में गुरुवार शाम राग सेवा में संगीत की सरिता बही। रासाचार्य फतेहकृष्ण शास्त्री और हरेकृष्ण 'शरद' ने भजनों के जरिए ठाकुरजी की राग सेवा कर उन्हें रिझाया। इस दौरान ठाकुरजी ने केले के पत्ते, फूलों से बनी सच्चिदानंद कुंज में विराजमान होकर भक्तों को दर्शन दिए। मंदिर सेवायत आचार्य श्रीवत्स गोस्वामी ने बताया कि संधिनी सत संबित, चित आह्लादिनी, आनंद शक्ति स्वरूप है। इन तीनों का योग सत-चित-आनंद के बराबर सच्चिदानंद है। यही झांकी आज ठाकुरजी की सजाई गई है। इसके बाद रासाचार्य फतेहकृष्ण शास्त्री व हरेकृष्ण 'शरद' ने श्यामा जू को राज हमारे माई.., हमारी अलबेली राधे, हमारे अलबेले ठाकुर.., मौये छैला ने मारी नजरिया रे.., धन-धन राधिका के चरण.. भजन प्रस्तुत कर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। जिसे सुन भक्त आनंद से सराबोर हो उठे। उनके साथ संगत राम-श्याम ने की।
इससे पूर्व सुबह ठाकुरजी की मंगला आरती, श्रृंगार आरती व राजभोग आरती की गई, मंदिर में विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, नियमित पाठ, नाम संकीर्तन चलते रहे। आगंतुकों का आचार्य अभिनव गोस्वामी ने किया। शयन आरती आचार्य सुवर्ण गोस्वामी ने की।