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बाग खिलने से पहले ही चले गए बागवान

योगेश जादौन, मथुरा विकास और मेघ अभी नौजवान थे। ऊर्जा से भरे और विश्वास से लवरेज। सच तो यह है कि अ

By JagranEdited By: Published: Wed, 17 May 2017 01:00 AM (IST)Updated: Wed, 17 May 2017 01:00 AM (IST)
बाग खिलने से पहले ही चले गए बागवान
बाग खिलने से पहले ही चले गए बागवान

योगेश जादौन, मथुरा

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विकास और मेघ अभी नौजवान थे। ऊर्जा से भरे और विश्वास से लवरेज। सच तो यह है कि अभी उन्होंने ठीक से सफलता की सीढि़यों को चढ़ना ही शुरू किया था। परिवार में बेहतरी की बयार चली थी। परिवार की हसरतें इन युवाओं पर थीं। कारोबार को ऊंचाई पर ले जाने के संकल्प से जुड़े इन दोनों का हंसता खेलता परिवार था। लेकिन एक झटके में उनके हंसते-खेलते बाग को बुरी कानून व्यवस्था की नजर लग गई।

विकास की उम्र करीब 40 साल और मेघ की उम्र अभी महज 32 साल थी। यह कोई ऐसी उम्र नहीं होती कि हसरतें कमजोर पड़ जाए। यहां तो इन दोनों पर ही परिवार की सारी जिम्मेदारी टिकी थीं। विकास घर का सबसे बड़ा पुत्र था। उसके पिता मोहनदास का औरंगाबाद में सराफा का कारोबार था। दस साल पहले ही विकास ने होलीगेट की कोयला गली में अपना अलग से काम शुरू किया। जल्द ही उसने तरक्की की सीढि़यां चढ़ना शुरू कर दिया। कुछ समय बाद उसने भाई मयंक के नाम से मयंक चेन्स का कारोबार शुरू किया। दोनों भाई साथ ही बैठते थे और पूरी मेहनत से काम करते। विकास के एक दोस्त ने बताया कि विकास ही निगाह सफलता पर टिकी थी। वह किसी से लड़ता-झगड़तानहीं था। सिर्फ अपने काम पर ध्यान देता और राजनीति से तो उसका कोई मतलब ही नहीं था। उसका 14 वर्ष का एक पुत्र और दो जुड़वा पुत्रियां हैं। वृंदावन की सुहानी से उसकी करीब 15 साल पहले शादी हुई थी और वह गोकुल के ¨चताहरण महादेव के दर्शन को बीते कुछ मंगलवार से नियमित जाने लगा था। मेघ अग्रवाल से उसके कारोबारी रिश्ते थे। डेंपीयर निवासी मेघ अपने पिता का इकलौता पुत्र था। पिता का राजस्थान साड़ी सेंटर के नाम से मशहूर कारोबार था। यह करोबार बंद कर दोनों पिता-पुत्र दिल्ली की कुंचा महाजनी में सोने-चांदी का व्यापार करने लगे थे। मेघ मथुरा सर्राफा की दुकानों से आर्डर लेने नियमित आता था। उसका परिवार डेंपियर नगर में ही रह रहा है।

घटना के दिन ही वह दिल्ली से मथुरा आया था और दिनभर व्यापारियों से संपर्क कर शाम को विकास की फर्म पर पहुंचा था। मेघ की आंखों में भी आगे बढ़ने के सपने थे। पिता का साड़ी का कारोबार कमजोर पड़ा तो उसी ने दिल्ली में यह कारोबार शुरू किया और परिवार को संबल दिया। उसकी ससुराल कासगंज में है और अभी शादी को दो-तीन साल ही हुए हैं। उसका डेढ़ साल का पुत्र दक्ष है जिसे पता ही नहीं कि उसका पिता एक लचर कानून व्यवस्था और जंगलराज की भेंट चढ़ गया है। आज जब यह संवाददाता इन घरों में पहुंचा तो पुरुष अंत्येष्टि को गए थे और घर की महिलाओं के आंसू थम नहीं रहे थे। चीखों और हिलकियों के बीच किसकी हिम्मत जो बात करे।

विकास के साथ 16 का अजब संयोग

मथुरा: विकास के साथ 16 के अंक का अजब संयोग रहा। पिता मोहनदास ने बताया कि विकास का जन्म 16 तारीख को हुआ और वह 16 तारीख को ही हमारे बीच से चला गया। घरवालों के मुताबिक उसका जन्म 16 मार्च 1977 को हुआ। हालांकि मार्कशीट में कोई दूसरी तारीख दर्ज है। शादी 16 फरवरी 2002 को कासगंज की सुहानी से हुई और फिर मौत ने जो दिन चुना वह भी 16 मई का था।


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