एक माह का असंतोष समय देख सामने आया
जागरण संवाददाता, मथुरा: ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के प्रतिनिधि और भाई सूर्यकांत शर्मा के खिलाफ
जागरण संवाददाता, मथुरा: ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा के प्रतिनिधि और भाई सूर्यकांत शर्मा के खिलाफ पिछले करीब एक माह से उबल रहा असंतोष मंगलवार को उस समय सतह पर आ गया, जब इत्र-फुलेल लगाकर और फोटोग्राफर लेकर वह दो युवा व्यापारियों की अंत्येष्टि में पहुंच गए। इस घटना के बाद से भाजपाई ऊर्जा मंत्री के भाई के खिलाफ मुखर हो गए और शिकायत प्रदेश समेत राष्ट्रीय नेतृत्व से भी की गई है।
दो युवा व्यापारियों की ध्रुव घाट पर हुई अंत्येष्टि में जैसे ही वह जिलाध्यक्ष चौ. तेजवीर व अन्य के साथ पहुंचे तो मौजूद व्यापारियों का गुस्सा फूट पड़ा। ऊर्जा मंत्री के प्रतिनिधि के कपड़ों से इत्र की खुशबू आने और उनके निजी फोटोग्राफरों द्वारा उनके फोटो खींचने से भी उनका गुस्सा भड़का। उनका कहना था कि इस सनसनीखेज वारदात के बाद कम से कम ऊर्जा मंत्री को यहां आना चाहिए था। प्रतिनिधि भाई के एटीट्यूड से भड़के व्यापारियों ने उन्हें न केवल खूब खरी-खोटी सुनाई, बल्कि उन्हें लगभग दौड़ा ही दिया।
जिलाध्यक्ष चौ. तेजवीर ¨सह ने लोगों को समझाने का प्रयास किया, पर वे नहीं माने। उनका कहना था कि बाहरी सांसद और विधायक को जिताने का यह प्रतिफल मिल रहा है कि उनका प्रतिनिधि भी अर्थी के साथ अपना फोटो बनाने आया है। लोगों ने पार्टी नेता एसके शर्मा को भी नहीं बख्शा।
बाद में पार्टी नेताओं ने इस बहाने ऊर्जा मंत्री के भाई की शिकायत लखनऊ और दिल्ली तक पहुंचा दी। सूत्रों की मानें तो पिछले एक माह में कुछ ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिससे पार्टी नेता व कार्यकर्ता आहत हैं। उनका आरोप है कि ऊर्जा मंत्री के भाई किसी नेता और कार्यकर्ता के साथ ठीक व्यवहार नहीं कर रहे। उन्होंने अपने निवास पर रजिस्टर रखा हुआ है, जिसमें पार्टीजनों के लिए भी अनुमति लेकर आना अनिवार्य है।
पूर्व जिलाध्यक्ष लक्ष्मी नारायण पाठक और ठा. ओम प्रकाश ¨सह, पूर्व विधायक श्याम अहेरिया के भतीजे और पार्टी कार्यकर्ता बिहारी लाल गुप्ता के पुत्र के साथ हुए झगड़ों में भी उनकी भूमिका से नेता और कार्यकर्ता आहत हैं। आरोप है कि उनकी एक नहीं सुनी जा रही। ऊर्जा मंत्री सरकार में व्यस्त हैं, लेकिन उनके प्रतिनिधि बने भाई एक दिन पार्टी कार्यालय आकर जन सुनवाई में नहीं बैठे हैं।
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क्या आप ऐसे ही बड़े बनेंगे सूर्यकांत?
क्या सच में आप लोग इस काबिल हैं कि इन लोगों के प्रतिनिधि बन सकें? किन लोगों के साथ फोटो ¨खचाना चाहते थे सूर्यकांत जी। दो जलती चिताओं के साथ या उन बिलखते हुए पिताओं और उन परिवारों के साथ, जो असमय अपने बच्चों के चले जाने से गहरे सदमे में हैं। कितनी संवेदनशून्यता है? क्या जनप्रतिनिधि उस परिवार का हिस्सा नहीं होता। शायद मानवता को शर्मसार करने वाली घटना में अपने को बड़ा दिखाने के बजाय इन परिवारों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े होने से आप बड़े बनते, फोटो से तो बिलकुल नहीं सूर्यकांत जी।
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