बांके की दुनिया हुई दीवानी
जागरण संवाददाता, मथुरा: लाड़ली लाल का केलि निकेतन देश दुनिया की आस्था का केंद्र है। अब तो इस भूमि
जागरण संवाददाता, मथुरा: लाड़ली लाल का केलि निकेतन देश दुनिया की आस्था का केंद्र है। अब तो इस भूमि को माथे से लगाने हर कोई आना चाहता है। इसके चलते पिछले पांच साल में यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। ब्रज में वृंदावन तो धार्मिक पर्यटन का प्रमुख केंद्र बन चुका है। पर्यटन विभाग के 2015-2016 तक के आंकड़ों के मुताबिक ब्रज में सबसे अधिक तीर्थ यात्री वृंदावन में आए। इस मामले में लीला धाम ने मथुरा और गोवर्धन को भी पीछे छोड़ दिया है।
वृंदावन में बांके बिहारी के साथ प्रेम मंदिर भी भक्तों को आकर्षित कर रहा है। 2014 में जहां 40 लाख से अधिक भक्त यहां आए थे, जबकि 2015 में यह तादाद 1.26 करोड़ पर पहुंच गई। 2016 में 50 हजार से ज्यादा श्रद्धालु और बढ़ गए। श्रद्धालुओं की आमद के लिहाज से दूसरे स्थान पर गोवर्धन व तीसरे स्थान पर मथुरा है। जिला पर्यटन अधिकारी अनुपम श्रीवास्तव ने बताया कि वृंदावन में सुविधाओं के स्तर पर भी काफी काम हुआ है। बांके बिहारी वृंदावन का सबसे प्रमुख आकर्षण हैं। इसके बाद रात में लोग प्रेम मंदिर के दर्शन करना पंसद करते हैं।
बांकेबिहारी मंदिर के प्रबंधक (प्रशासन) मुनीश शर्मा ने बताया कि दो-तीन सालों में बांके बिहारी के दर पर भक्तों की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हुई है। एनसीआर के लोगों का शनिवार-रविवार ठाकुर जी के साथ ही मनता है। इसके अलावा पंजाब, महाराष्ट्र, गुजरात, एमपी, दक्षिण आदि सहित पूरे भारत से लोग बांके बिहारी के दर्शन को आते हैं। विदेशी भी बड़ी संख्या में आते हैं।
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ऐसे होता है डाटा इकट्ठा
पर्यटन विभाग हर जगह के होटलों, धर्मशालाओं आदि से वहां आने वाले तीर्थ यात्रियों का डाटा एकत्रित करता है। इसके साथ विशेष उत्सवों पर मंदिरों में आने वाले श्रद्धालुओं का आंकड़ा लिया जाता है। संबंधित क्षेत्र के ईओ भी अपनी रिपोर्ट देते हैं। इस आधार यह आंकड़ा तैयार किया जाता है।
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साल 2014
स्थान-भारतीय-विदेशी-कुल
गोवर्धन-84.50 लाख -4850-84.54 लाख
मथुरा-66.20 लाख-24,950-66.45 लाख
राधाकुंड-41.90 लाख-1800-41.91 लाख
वृंदावन-40.15 लाख-19050-40.34 लाख
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साल 2015
स्थान-भारतीय-विदेशी-कुल
वृंदावन-1.26 करोड़-47,890-1.27 करोड़
गोवर्धन-1.21 करोड़-8500-1,21 करोड़
मथुरा-66.26 लाख-25000-66.51 लाख
राधाकुंड-45.60लाख-1950-45,62 लाख
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साल 2016
स्थान-भारतीय-विदेशी-कुल
वृंदावन-1.26 करोड़-48000-1,2698000
गोवर्धन-1,20,90000-8600-1,2098600
मथुरा-66,30000-25,100-66,55100
राधाकुंड-45,70000-2000-45,72000
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