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पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा संग्रहालय

जागरण संवाददाता, मथुरा: राजकीय संग्रहालय पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है। बीते साल के आंकड़े

By Edited By: Published: Wed, 18 Jan 2017 12:34 AM (IST)Updated: Wed, 18 Jan 2017 12:34 AM (IST)
पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा संग्रहालय
पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा संग्रहालय

जागरण संवाददाता, मथुरा: राजकीय संग्रहालय पर्यटकों को आकर्षित नहीं कर पा रहा है। बीते साल के आंकड़े यहीं कह रहे हैं। दो साल से संग्रहालय में सुंदरीकरण का कार्य चल रहा है लेकिन इसके बावजूद पर्यटकों की संख्या घटी है।

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राजकीय संग्रहालय में मथुरा की ऐतिहासिकता का अक्स नजर आता है। मथुरा कला के अनुपम उदाहरण यहां दर्शनीय हैं। म्यूजियम में करीब 645 प्रदर्शित मूर्तियां हैं। दो साल पहले म्यूजियम के प्रांगण में गौतम बुद्ध की विशाल मूर्ति लगवाई गई। इसके साथ मूर्तियों के शो केस, शीशे, ऑडिटोरियम, शौचालय आदि का निर्माण कराया गया। करीब छह करोड़ की लागत से यह कार्य कराए गए।

लेकिन इसका कोई लाभ नहीं हुआ। 2015 की तुलना में 2016 में 1846 पर्यटक कम हुए हैं। विदेशी पर्यटकों की संख्या में भी कमी आई है। 184 विदेशी कम हुए हैं।

म्यूजियम के सहायक निदेशक एसपी ¨सह ने बताया कि इसके प्रचार प्रसार के लिए कोई कार्य नहीं हो रहा। हमने पर्यटन विभाग से कहा था कि ब्रज दर्शन कराने वाली बस का एक टूर म्यूजियम में भी कराया जाए लेकिन उस दिशा में कुछ नहीं हुआ। यहां बच्चों के आकर्षण के लिए भी कुछ होना चाहिए। करीब तीन महीने पहले गाइड लैक्चरर की नियुक्ति भी हो चुकी है। जो मूर्तियों के बारे में जानना चाहता है, गाइड लैक्चरर उसकी मदद करते हैं।

--म्यूजियम की कोई वेबसाइट नहीं--

म्यूजियम के प्रचार प्रसार की दिशा में कोई काम नहीं हो रहा है। इसकी वेबसाइट ही नहीं है। तकनीकी के इस दौर में लोगों को जोड़ने के लिए इंटरनेट अच्छा माध्यम है लेकिन यह पहल आज तक नहीं हुई।

--टूट रहे मूर्तियों के शोकेस--

आए दिन टूटते म्यूजियम की गैलरियों के शीशे सौंदर्यीकरण कार्य की गुणवत्ता पर सवाल उठा रहे हैं। मंगलवार को भी एक शीशा टूट गया। अब तक 8-10 शीशे टूट चुके हैं। इससे कोई दुर्घटना भी हो सकती है। सहायक निदेशक ने कहा कि या तो फि¨टग में दिक्कत है या शीशों में। इनको लगे हुए अभी डेढ़ साल ही हुआ है।

जैन संग्रहालय में भी घटा ग्राफ

उपेक्षा के शिकार जैन संग्रहालय के प्रति भी पर्यटकों का रुझान कम हुआ है। 2015 में जहां 1237 पर्यटक आए वहीं 2016 में इनकी संख्या घटकर 1017 रह गई। हैरत की बात है कि दोनों सालों में यहां एक भी विदेशी पर्यटक नहीं आया।

हमारे हर लिटरेचर में म्यूजियम के बारे में जानकारी दी गई है। साइनेज भी लगे हुए हैं। हमने वल्र्ड बैंक में भी म्यूजियम के लिए प्रस्ताव रखा था। वहां की टीम विजिट करने भी आई लेकिन जब तक म्यूजियम के लिए पैसे सेंक्शन हो चुके थे। अगर वल्र्ड बैंक की योजना में इस पर काम होता तो म्यूजियम को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलती।

--अनुपम श्रीवास्तव, जिला पर्यटक अधिकारी


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