निराश्रित महिलाओं को चाहिए सहारा
जागरण संवाददाता, वृंदावन: केस एक: चैतन्य विहार सरकारी आश्रय सदन में रह रहीं तकरीबन 70 साल की सुद
जागरण संवाददाता, वृंदावन:
केस एक: चैतन्य विहार सरकारी आश्रय सदन में रह रहीं तकरीबन 70 साल की सुदेवी अधिक उम्र और दोनों घुटनों में दर्द के कारण ठीक तरह चल पाने में असमर्थ हैं। उनको सहारा के लिए वॉकर की जरूरत है। छड़ी लेकर भी वह ठीक तरह नहीं चल पातीं।
केस दो: चैतन्य विहार सरकारी आश्रय सदन में ही रहने वाली 75 साल की मीना देवी कमर और पैर दर्द से परेशान हैं। इसके पास ट्राई साइकिल है। बकौल मीना ट्राई साइकिल उनकी मददगार नहीं बन पा रही। इसलिए उनको वॉकर की जरूरत है।
सुदेवी और मीना देवी की तरह वृंदावन के सरकारी आश्रय सदनों में तकरीबन तीन दर्जन महिलाएं ऐसी हैं जिन्हें सुनाई न देने और हड्डियों में दर्द की परेशानी है। इन सबकी आयु 65 से 75 साल के बीच है।
आश्रय सदनों के कर्मियों के अनुसार, इनमें से छह महिलाओं को सुनाई नहीं पड़ता उन्हें कान में लगाने वाली मशीन की दरकार है। इसी तरह 5 महिलाओं को आने-जाने के लिए वॉकर और बीस महिलाओं को डंडा (छड़ी) की जरूरत है। लेकिन ये उपकरण नहीं मिल पा रहे हैं। कुछ महिलाओं ने बताया कि कुछ माह पहले समाजसेवी संस्था ने शहर में कृत्रिम उपकरणों को बांटने के लिए निश्शुल्क कैंप लगाया था, लेकिन इस कैंप में भी उनको वे उपकरण नहीं मिले, जिसकी उनको जरूरत थी। जिनको वॉकर की आवश्यकता है, उनके पास छड़ी है। घुटनों में दर्द से परेशान सुदेवी ने बताया कि सरकारी वॉकर नहीं मिल पाने के कारण उन्होंने तकरीबन 700 रुपये में वॉकर मंगवाया, लेकिन इनकी गुणवत्ता खराब निकल गई और कुछ माह में ही इसकी हालत खराब हो गई। आश्रय सदनों के कर्मियों के अनुसार, उनके स्तर से इन सब महिलाओं की फेहरिस्त तैयार कर कई माह पहले सीएमओ कार्यालय में भेज दी गई है। लेकिन अब तक कृत्रिम उपकरण मुहैया नहीं कराए गए हैं। इस बारे में जानकारी करने पर सीएमओ कार्यालय के अफसर डॉ. मुकेश लवानियां ने बताया कि आश्रय सदनों में जरूरतमंद महिलाओं को कृत्रिम उपकरण शीघ्र उपलब्ध करा दिए जाएंगे।