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अंखफुड़वा कांड पर हरकत में आए अधिकारी

जागरण संवाददाता, मथुरा: अंखफुड़वा कांड पर मंगलवार को 'जागरण' द्वारा प्रमुखता से खबर प्रकाशित करने के

By Edited By: Published: Tue, 30 Aug 2016 11:59 PM (IST)Updated: Tue, 30 Aug 2016 11:59 PM (IST)
अंखफुड़वा कांड पर हरकत में आए अधिकारी

जागरण संवाददाता, मथुरा: अंखफुड़वा कांड पर मंगलवार को 'जागरण' द्वारा प्रमुखता से खबर प्रकाशित करने के बाद स्वास्थ्य विभाग और पुलिस के अधिकारी हरकत में आ गए। कोर्ट पहुंचकर केस के स्टेटस की पड़ताल की। वहीं मामले के दो आरोपियों पर सीएमओ मेहरबानी किए हुए हैं।

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नवंबर 2014 में बांकेबिहारी सेवा संस्थान की ओर से धौली प्याऊ स्थित एक घर में निश्शुल्क नेत्र ऑपरेशन शिविर लगाया गया था। गलत ऑपरेशन के चलते एक दर्जन ग्रामीणों की आंखों की रोशनी चली गई थी। इसके बाद हाईवे थाने में मुकदमा दर्ज कराया गया था।

अंखफुड़वा कांड में विवेचक द्वारा लगाई गई फाइनल रिपोर्ट को खारिज करते हुए कोर्ट ने अभियुक्तगण बांकेबिहारी मानव कल्याण करोति समिति के अध्यक्ष लोकेंद्र गौतम, सचिव सुनीता देवी, मुकेश, जिला अस्पताल के नेत्र सर्जन डॉ. राजेंद्र ¨सह, डॉ. आशुतोष मिश्रा, डॉ. धीरज छावड़िया व एक अन्य के खिलाफ धोखाधड़ी, षड़यंत्र समेत अन्य धाराओं में विचारण के लिए तलब किया था। वहीं नेत्र ऑपरेशन स्थल की मालकिन शकुंतला देवी, प्रचार सामग्री छापने वाले प्रेस मालिक ओमप्रकाश सारस्वत के खिलाफ धारा 182 की कार्रवाई तथा विवेचक के खिलाफ कार्रवाई के लिए डीआइजी को लिखा था। सीएमओ को झोलाछाप डॉक्टर मुकेश निवासी नगला खूबी के खिलाफ मेडिकल काउंसिल एक्ट के अंतर्गत उचित कार्रवाई करने को आदेशित किया था। इधर, थाना हाईवे के एसओ सुबोध यादव का कहना है कि कोर्ट ने फाइनल रिपोर्ट निरस्त कर दी है और खुद ही मामले का संज्ञान लेकर आरोपियों को तलब किया जा रहा है। वहीं डॉ. धीरज छाबड़िया का कहना है कि उन्होंने हाईकोर्ट से स्टे प्राप्त कर लिया है। इस मामले में मुझे गलत फंसाया था।

जबकि सीएमओ डॉ. विवेक मिश्रा का कहना है कि केस का स्टेटस पता करने के लिए एसीएमओ को कोर्ट भेजा था। फाइनल रिपोर्ट खारिज होने के बाद की प्रक्रिया के बारे में जानकारी नहीं मिल सकी है। जानकारी की जा रही है।

मामले के आरोपियों पर सीएमओ मेहरबान

अंखफुड़वा कांड में संदिग्ध रहे दो कर्मचारियों पर सीएमओ मेहरबान हैं। ये दोनों नेत्र शिविरों के आयोजन की अनुमति और निरीक्षण का काम देखते थे। इनमें से एक के खिलाफ अंखफुड़वा कांड में निलंबन और मुकदमे की कार्रवाई हुई थी। वर्तमान में दोनों बाबुओं को शिविर की जिम्मेदारी सौंप दी है।


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