नीली क्रांति पर सरकार का ही ब्रेक
जागरण संवाददाता, मथुरा: एक तरफ राज्य सरकार नीली क्रांति की बात कर रही है और दूसरी तरफ प्रदेश के एकमा
जागरण संवाददाता, मथुरा: एक तरफ राज्य सरकार नीली क्रांति की बात कर रही है और दूसरी तरफ प्रदेश के एकमात्र पं. दीन दयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान एवं विश्वविद्यालय और गो अनुसंधान संस्थान को मत्स्य विज्ञान के पाठ्यक्रम के संचालन की मंजूरी नहीं दे रही। हालांकि इसके लिए दो साल पहले साढ़े पांच करोड़ रुपये की लागत से भवन बन चुका है, जो जर्जर होने लगा है।
मछली पालन से रोजगार के द्वार खोलने के लिए राज्य सरकार ने नीली क्रांति योजना शुरू की थी। योजना को परवान चढ़ाने का दायित्व मत्स्य विभाग को सौंपा है। इसके लिए करीब वेटरिनरी कालेज ने मत्स्य ज्ञान-विज्ञान की पढ़ाई की योजना तैयार की थी। करीब 5.5 करोड़ रुपये की लागत से भवन का निर्माण दो साल पहले कराया। भवन बनकर तैयार हो गया, लेकिन राज्य सरकार से पाठ्यक्रम संचालन के लिए मंजूरी नहीं दी। ऐसे में परिसर के मार्ग किनारे झाड़ियां और बेंचों पर घास उग आई है। खिड़कियों के शीशे चटक गए हैं। निर्माण कार्यदायी संस्था जल निगम की सीएनडीएस इकाई ने वेटरिनरी कालेज को अभी तक हस्तातंरित भी नहीं किया है। भवन में सेमी हॉस्टल, लेक्चर हॉल, प्रयोगशाला और डीन कार्यालय है।
यह होती पढ़ाई
मछली से जुडे़ विज्ञान महाविद्यालय के शुरू होने पर तीस छात्र प्रति साल बीएससी, एमएससी की पढ़ाई के साथ पीएचडी करते। निजी क्षेत्र मे संचालित एक प्राइवेट महाविद्यालय उत्तराखंड के पंतनगर में संचालित है। वेटरिनरी में पाठ्यक्रम शुरू होने से जिले में मछली उत्पादन की अधिक गुंजाइश होगी।
ये है दिक्कत-
कोर्स स्वीकृति की अनुमति के साथ राज्य सरकार को मछली के ज्ञान-विज्ञान की पढ़ाई के लिए पद भी स्वीकृत करने हैं। शिक्षक, स्टाफ और प्रयोगशाला के लिए उपकरण स्थापित कराने का कार्य भी राज्य सरकार का है।
वेटरिनरी विवि में मत्स्य ज्ञान-विज्ञान महाविद्यालय का भवन अभी हस्तातंरित नहीं हुआ है। पाठ्यक्रम शुरू कराने के लिए राज्य सरकार को पहले भी प्रस्ताव भेजा था, लेकिन अभी तक उसे मंजूरी नहीं मिली हैं। अब नये सिरे से प्रस्ताव बनाकर शासन को भेजा जा रहा है।
-प्रो. केएमएल पाठक, कुलपति वेटरिनरी विवि मथुरा।