Move to Jagran APP

हौसला पोषण योजना में प्रधानों की मनमानी

जागरण संवाददाता, मथुरा: गर्भवती महिलाओं और अतिकुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए हौंसला पो

By Edited By: Published: Mon, 29 Aug 2016 01:00 AM (IST)Updated: Mon, 29 Aug 2016 01:00 AM (IST)
हौसला पोषण योजना में प्रधानों की मनमानी

जागरण संवाददाता, मथुरा: गर्भवती महिलाओं और अतिकुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए हौंसला पोषण मिशन योजना प्रधानों के हाथों में खेल रही है। आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों पर अपने ही घर से ही भोजन बनाकर केंद्र पर लाने के लिए दबाव डाला जा रहा है। इसके चलते गांवों के प्रधानों की भूमिका पर सवाल उठ रहे हैं।

loksabha election banner

प्रदेश में 15 जुलाई को लागू हौंसला पोषण मिशन योजना में गर्भवती महिलाओं को पौष्टिक भोजन देने के साथ ही अतिकुपोषित बच्चों को मीठा दलिया और हलुआ देने की शुरूआत मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी। जिले में 25 जुलाई को बड़े जोर-शोर से इस योजना का शुभारंभ आंगनबाड़ी केंद्रों पर किया। प्रधान और आंगनबाड़ी कार्यकत्री के संयुक्त बैंक खाते खुलवाए गए। बर्तन खरीदने और मैन्यू का विवरण लेखन कराने के साथ ही खाद्य सामग्री की रकम बैंक खातों में ट्रांसफर कर दी गई। रकम खाते में आते ही प्रधान बेलगाम हो गए। तमाम गांवो में योजना से मिली राशि से न बर्तन खरीदे गए और न लेखन का काम हुआ। केंद्रों पर प्रधानों की मनमानी से कभी-कभी खाना वितरित हो रहा है। महिला और बच्चे आंगनबाड़ी केंद्रों पर खाली बर्तन बजा रहे हैं। बालकों को करीब तेरह रुपये और गर्भवती महिलाओं को 18 रुपये प्रति दिन की खुराक देने का प्रावधान है।

शनिवार को गांव सोन में हौंसला पोषण योजना की हकीकत जानने जब जागरण टीम पहुंची तो हकीकत सामने आ गई। नाम न छापने की शर्त पर एक केंद्र की संचालिका ने बताया कि ग्राम पंचायत में चार केंद्र चलते हैं। तीन गांव में तो एक केंद्र करीब दो किमी दूर नगला गिरवर में संचालित हैं। उसने बताया, योजना के लिए आई 21650 की धनराशि प्रधान ने खाते से निकलवाकर खुद रख ली है और घर में खाना बनवा केंद्रों पर वितरण को उपलब्ध करा रहा है, जिसे लेने भी हमको उसके घर जाना पड़ता है। नगला गिरवर की केंद्र संचालिका को तो खाना लाने के लिए चार किमी की दौड़ लगानी पड़ती है। जब उन्होंने प्रधान हरदेव ¨सह की मनमानी का विरोध किया तो उसे डांट दिया। प्रधान पर आरोप है कि वह अपने हिसाब से योजना के तहत खाना वितरण कराने की कहते हैं। गांव में प्रधान की तलाश की गई तो बताया वह काम से मथुरा गए हैं।

जिला कार्यक्रम अधिकारी अनिल दत्तात्रेय ने बताया, खाना बनवाने की जिम्मेदारी प्रधान की है। वितरण का काम कार्यकत्री का है। मैन्यू का पालन न होने की जानकारी कराकर इसकी जांच कराई जाएगी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.