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उत्तर भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है गो¨वद देव मंदिर

जागरण संवाददाता, वृंदावन (मथुरा) : गोविंद देव मंदिर उत्तर भारतीय स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। स

By Edited By: Published: Tue, 31 May 2016 12:54 AM (IST)Updated: Tue, 31 May 2016 12:54 AM (IST)
उत्तर भारतीय स्थापत्य कला का उत्कृष्ट नमूना है गो¨वद देव मंदिर

जागरण संवाददाता, वृंदावन (मथुरा) : गोविंद देव मंदिर उत्तर भारतीय स्थापत्य कला का बेहतरीन नमूना है। सप्तदेवालयों में शामिल ठा. गो¨वद देव मंदिर का निर्माण सन 1590 में मुगल शासन में हुआ था।

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चैतन्य महाप्रभु के अनुयायी रूप गोस्वामी और सनातन गोस्वामी द्वारा पूजित ठा. गो¨वद देवजी के लिए आमेर के राजा मान¨सह ने सात मंजलीय भव्य लाल पत्थर के मंदिर का निर्माण करवाया। मंदिर की निर्माण शैली में ¨हदू दक्षिण उत्तर भारतीय के अलावा जयपुरी, मुगल यूनानी शैली का भी बेजोड़ मिश्रण है। मंदिर सेवायत सुकुमार गोस्वामी ने बताया कि चैतन्य महाप्रभु की आज्ञा पर वृंदावन का प्रकाश करने आए रूप एवं सनातन गोस्वामी ने सबसे पहले वृंदा देवी के नाम पर एक वृंदा मंदिर का निर्माण कराया। उन्होंने ही गो¨वद देवजी की स्थापना की, जो आज पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है।

मंदिर के शिलालेख पर अंकित है कि इस भव्य देवालय को आमेर, जयपुर, राजस्थान के राजा भगवान दास के पुत्र राजा मान¨सह ने बनवाया था। रूप और सनातन गोस्वामी की देखरेख में मंदिर के निर्माण होने का उल्लेख भी मिलता है। गोस्वामी ने बताया कि मंदिर की चमक से मुगल बादशाह औरंगजेब परेशान था और समाधान के लिए उसने सेना भेजी। इस आक्रमण के बाद तो ठाकुरजी के श्रीविग्रह को जयपुर मंदिर में स्थापित करवाया गया। आज भी मंदिर में हजारों पर्यटक दर्शन करने को दुनियाभर से आते हैं, नियमत सेवा करने वाले श्रद्धालु प्रात:काल मंगला आरती कर मनोकामना पूरी करते हैं।


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