दूध पिया, दाल-चावल भी खाए
जागरण संवाददाता, मथुरा: स्कूल में बच्चों ने दूध तो पिया ही था, दाल-चावल भी खाए थे। किसी को स्कूल में
जागरण संवाददाता, मथुरा: स्कूल में बच्चों ने दूध तो पिया ही था, दाल-चावल भी खाए थे। किसी को स्कूल में ही चक्कर आने लगे थे, तो कोई घर आते-आते बेहाल हो गया था। डायट परिसर स्थित प्राइमरी पाठशाला में पढ़ने वाले करन ने बताया कि उसने बुधवार को स्कूल में पैक्ड दूध पिया था। चावल और दाल भी खाए थे। उसे तो स्कूल में ही उल्टी और दस्त होने लगे थे। घर आते-आते चक्कर आने लगे, तो मम्मी ने सुला दिया। गुरुवार सुबह हालत खराब होने पर उसके परिजन जिला अस्पताल लेकर आए।
जिला अस्पताल में इलाज करा रही साहिबा पुत्री राज मोहम्मद ने बताया कि पाठशाला से दूध पीकर घर आते ही उसे उल्टी हुई। इसके बाद दस्त होने पर उसे अम्मी ने दवा दी। साहिबा की अम्मी साहिस्ता ने बताया कि बेटी को जब उल्टी- दस्त की ज्यादा शिकायत हुई, तो उसे टाउनशिप पर डॉक्टर से दवा दिलवाई। फायदा नहीं हुआ, तो गुरुवार को जिला अस्पताल में भर्ती कराया। कॉलोनी में रहने वाला यशपाल उच्च प्राथमिक पाठशाला में कक्षा छह में पढ़ता है। बुधवार को स्कूल में मिले पैकेट के दूध को पीने के बाद वह घर आ गया था। बताया कि उसके पैरों में हल्का दर्द होने लगा था। उसे नींद आ गई थी। कुछ देर बाद पेट दर्द होने पर उसकी नींद खुली, तो मम्मी ने गोली खिला दी। इसके बाद दर्द बंद हो गया, जबकि पैरों का दर्द बंद नहीं हुआ। गुरुवार सुबह फिर पेट में दर्द होने लगा।
मेरी तो दो बेटियां पड़ीं बीमार
कॉलोनी निवासी समीना ने स्वर्ण जयंती अस्पताल में बताया कि कक्षा एक और दो पढ़ने वाली उसकी दो बेटियां प्राइमरी स्कूल से दूध पीकर घर आईं। दस्त और उल्टी होने पर बेटी समीना को टाउनशिप के पास डॉक्टर को दिखाया, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ, तो स्वर्ण जयंती लेकर आए। एक बेटी काफिया घर पर ही दर्द से कराह रही है।
गिरते-पड़ते घर पहुंचे बच्चे
कॉलोनी निवासी तन्नू और शिवानी की मम्मी रजनी ने बताया कि बुधवार को स्कूल से बच्चे गिरते-पड़ते घर आए थे। बच्चों ने बताया, स्कूल में दूध पिया है। इसके बाद हालत खराब होने पर कॉलोनी में ही रात 11 बजे दवा दिलवाई, लेकिन फायदा नहीं होने पर गुरुवार को स्वर्ण जयंती अस्पताल लेकर पहुंचे। कमल ¨सह ने बताया, उसकी बेटी दीपा प्राइमरी स्कूल में कक्षा चार में पढ़ती है। स्कूल से दूध पीकर आने के बाद बेटी को चक्कर आने लगे। हम लोगों ने गर्मी के कारण ध्यान नहीं दिया। गुरुवार को दस्त की शिकायत पर बेटी को जिला अस्पताल लेकर आए। ये हुए बीमार
प्रकाश (10) पुत्र सुरेश, काकुल (8) पुत्री राजू, मीनू (8) पुत्री धर्मो, यशोदा (3) पुत्री परसोती, विष्णु (10) पुत्र परसोती, पूजा (12) पुत्री परसोती, आशिका (8) पुत्री यूसुफ, विनोद (10) पुत्री सुरेश, राहुल (12) पुत्र मिट्ठूलाल, दिलशाद (16) पुत्र मुनीर, गुलुफसा (8) पुत्री मुनीर, इरशाद (7) पुत्र मुनीर, अंकुश (9) पुत्र रामवीर, कुमकुम (10) पुत्र रामवीर, मनीषा (3) पुत्र सोनू गोला, हसन (6) पुत्र चांद, अर्जुन (3) पुत्र विजेंदर, हरिओम (8) पुत्र रचिपाल, रुकसार (12) पुत्री शरीफ खान, नेहा (12) पुत्री सलीम, पुनीत (7) पुत्र रवि, प्रिया (7) पुत्री मनीष, कान्हा (5) पुत्र महेश, निक्की (3) पुत्री महेश, परी (3) पुत्री गुलफान, मुस्कान (8) पुत्री इश्तिहार, दीपा (8) पुत्री कमल¨सह आदि। संध्या पुत्री महेश, शेखू पुत्र सलाम, मीना पुत्री ऊदल, अनीस और काजल भाई-बहन (पिता अकबर), आलिया पुत्री भूषण, अफजल पुत्र नईम, पायल, भावना, अनुराग, कृष्णा को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि हालत खराब होने पर रोशनी, नाजरा, खुशबू, मोहम्मद और सानिया को जिला अस्पताल से बेहतर इलाज को अफसर निजी अस्पताल ले गए।
मेरे बच्चे ने भी पिया था दूध
स्कूल की एक शिक्षिका बार-बार कह रही थी कि मेरे बच्चे ने भी दो पैकेट दूध पिया था, लेकिन बीमार नहीं हुआ। शिक्षिका का कहना था कि अगर दूध खराब होता, तो स्कूल के सभी बच्चे बीमार होते, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
बचे दूध के पैकेट, नष्ट कराए
स्कूल में दूध के जो पैकेट बचे हुए थे, गुरुवार को उनको नष्ट कराया गया।