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गो सेवा सबसे बड़ा धर्म: पूरन डाबर

मथुरा (फरह): आगरा के उद्योगपति पूरन डाबर ने देश के पशुपालकों के गायों के प्रति कम होते रूझान पर ¨चता

By Edited By: Published: Thu, 11 Feb 2016 12:18 AM (IST)Updated: Thu, 11 Feb 2016 12:18 AM (IST)
गो सेवा सबसे बड़ा धर्म: पूरन डाबर

मथुरा (फरह): आगरा के उद्योगपति पूरन डाबर ने देश के पशुपालकों के गायों के प्रति कम होते रूझान पर ¨चता जताई। कहा कि गो पालकों को हरियाणा और नागपुर के गाय रखने वाले लोगों से शिक्षा लेनी चाहिए। गाय सेवा को उन्होंने सबसे बड़ा धर्म बताया। इस अवसर पर उन्होंने नवीन गोशाला शेड का हवन के साथ उद्घाटन किया।

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श्री डाबर बुधवार को अंत्योदय के उपासक पं. दीनदयाल उपाध्याय के जन्मस्थान दीनदयाल धाम में आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, देश में पशुपालकों के पास गाय की संख्या में कमी ¨चता का विषय है। पशुपालक गाय इसलिए नहीं रखते कि देसी गाय कम दूध देती हैं। देसी गाय ज्यादा दूध देंगी तो पालक खुद ही गाय रखेंगे। गोसेवा के बारे में हरियाणा और नागपुर से शिक्षा लेनी पड़ेगी। वहां की गाय 10 से 25 लीटर तक दूध देती हैं।

उधर, विश्व ¨हदू परिषद के अंतरराष्ट्रीय संगठन महामंत्री दिनेशजी ने कहा कि अब इस गोशाला में करनाल में मिलने वाली देसी गिरि गाय रखी जाए, जो दूध भी ज्यादा देती है। कहा कि 25 साल के शोध के आधार पर वर्तमान में गाय को बहुत ही उपयोगी माना है। हमारे देश से ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील समेत सात 7 देशों के लोग देसी गाय लेकर गए हैं, वह लोग गाय के दूध से बनी दवाई और मल-मूत्र से बनाया जैविक खाद दूसरे देशों में सप्लाई कर रहे हैं। इन देशों के लोगों ने माना है, गाय का दूध पीने से बच्चों में फुर्ती रहती है, घर में गाय रखने से कोई बीमारी नहीं रहेंगी, जबकि मेरा मानना है कि गाय की सेवा और दूध पीने से कैंसर जैसी बीमारी भी भाग जाती हैं। इस दौरान उन्होंने कैंसर से पीड़ित अपने एक रिश्तेदार का उदाहरण देते हुए बताया, उन्होंने गाय की सेवा की, दूध पीया, आज वह स्वस्थ हैं।

इस दौरान स्मारक समिति के मंत्री डॉ. रोशन लाल और स्मृति महोत्सव समिति के महामंत्री अशोक टेटीवाल ने बताया कि इस कामधेनु गोशाला में अभी करनाल से चार गिरी गाय मगाई गई हैं, जबकि ऐसी ही 25 गाय और लाने की योजना है। इस मौके पर आगरा के सुरेशजी ने गिरि गाय के लिए एक लाख नकद रुपये भी दिए, तो राजेश ने तीन गाय और नंदी देने का वायदा किया।


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