बैंक जाएंगी निराश्रित महिलाओं के 'द्वार'
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): निराश्रित महिलाओं की सहूलियत के लिए वृंदावन के सरकारी आश्रय सदनों
जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): निराश्रित महिलाओं की सहूलियत के लिए वृंदावन के सरकारी आश्रय सदनों में अब एटीएम नहीं लगवाए जाएंगे, बैंक कर्मी इन महिलाओं को उनके बैंक खाते से पैसा देने हर माह उनके द्वार जाएंगे। एटीएम न लग पाने का कारण सरकारी आश्रय सदनों में रहने वाली महिलाओं में से तकरीबन 95 फीसद महिलाओं का निरक्षर या अल्प शिक्षित होना है।
कुछ माह पहले सरकारी आश्रय सदनों में व्यवस्थाओं का निरीक्षण करने आयी राज्य और जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम को कुछ महिलाओं ने बैंक आने-जाने में होने वाली परेशानी की जानकारी दी थी। इसके बाद राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की टीम ने जिला प्रशासन को सरकारी आश्रय सदनों में एटीएम खुलवाने के निर्देश दिए थे। लेकिन एटीएम लगवाने में निराश्रित महिलाओं की निरक्षरता आड़े आ रही है।
वृंदावन में पांच सरकारी आश्रय सदन हैं। इनमें तकरीबन 520 महिलाएं रहती हैं। इनमें से बमुश्किल 25 महिलाएं एटीएम से पैसे निकाल सकेंगी। बाकी महिलाएं अपने एटीएम के पास वर्ड को भी याद रख नहीं पातीं। इसलिए बैंकों को सरकारी आश्रय सदनों में हर माह जाकर रुपयों के वितरण का करने का लीड बैंक से निर्देश मिला है। सरकारी आश्रय सदनों में रहने वाली महिलाओं के खाते ¨सडीकेट बैंक , आंध्रा बैंक और यूको बैंक में है। ¨सडीकेट बैंक में हीं दो सौ से अधिक महिलाओं के खाते बताए जाते हैं।
सिर्फ दो हजार रुपये ही निकाल सकेंगी महिलाएं
¨सडीकेट बैंक के मैनेजर प्रदीप श्रीवास्तव ने बताया कि लीड बैंक से उनको सरकारी आश्रय सदनों में जाकर हरेक महिला को दो-दो हजार रुपये हर माह वितरण करने का निर्देश मिला है। दो-दो हजार रुपये की राशि हर माह एनजीओ सुलभ इंटरनेशनल की तरफ से उनके खातों में जमा कराई जाती है। सरकार की तरफ से बतौर फूड मनी हर माह मिलने वाले 550 रुपये की निकासी के लिए महिलाओं को बैंकों में ही आना पड़ेगा। लीड बैंक से उनको यह निर्देश है।