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2200 साल पुराने रामताल कुंड में लोहे का प्रयोग

जागरण संवाददाता, मथुरा: ब्रज की महिमा अपरंपार हैं। सुनरख गांव के पास 2200 साल पुराने रामताल की खोज क

By Edited By: Published: Fri, 22 Jan 2016 12:32 AM (IST)Updated: Fri, 22 Jan 2016 12:32 AM (IST)
2200 साल पुराने रामताल कुंड में लोहे का प्रयोग

जागरण संवाददाता, मथुरा: ब्रज की महिमा अपरंपार हैं। सुनरख गांव के पास 2200 साल पुराने रामताल की खोज के बाद अब पुरातत्व संरक्षण विभाग इसके संरक्षण की तैयारी कर रही है। इसकी दीवारों की नींव में लोहे की चादर मिली है, जो यह बताती है कि उस समय लौह का कहीं से आयात किया गया होगा। आगरा से आए एएसआइ अधिकारियों और वैज्ञानिकों की टीम ने दो दिन पहले रामताल कुंड का निरीक्षण किया। टीम का मानना है कि यह कुषाणकालीन या उससे भी पुराना हो सकता है। उन्होंने ब्रज फाउंडेशन को संरक्षण में सहयोग देने का प्रस्ताव दिया है।

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ऐतिहासिक रामताल कुंड को द ब्रज फाउंडेशन ने सन् 2012 में खोज लिया था। फाउंडेशन के अध्यक्ष विनीत नारायण ने बताया कि उन्होंने पुराणों और लोक कथाओं से रामताल कुंड के बारे में सुना था। संस्था के प्रोजेक्ट मैनेजर विपिन व्यास ने प्रयास कर इस स्थल को इंगित किया। वर्ष 2012 में स्थल की खुदाई कराई गई, तो पंद्रह फीट गहराई पर रामताल कुंड मिला। नींव की खुदाई में लोहे की मोटी चादर भी मिली। यह उपलब्धि है, क्योंकि इस क्षेत्र में लौह अयस्क नहीं मिलता। स्पष्ट है कि कुंड बनवाने वाले ने इसे आयात किया होगा। कुंड यमुना किनारे बनाया जा रहा था, इसलिए जल के रिसाव से नींव की रक्षा के लिए नीचे लोहे की परत बिछा दी गई होगी। ब्रज फाउंडेशन की योजना ढाई एकड़ में फैले पौराणिक रामताल कुंड को बेहतरीन कुंड बनाने की थी, लेकिन बाद में योजना को बदल दिया गया। फाउंडेशन अब इसे ऐतिहासिक धरोहर के रूप में विकसित कर रहा है। धरोहर संरक्षण के साथ उसके आसपास सुंदरीकरण, परिक्रमा मार्ग, यात्री सुविधाओं आदि की व्यवस्था की जा रही है। श्री नारायण ने बताया कि एएसआइ ने उन्हें पत्र देकर सहयोग का प्रस्ताव किया है। वे तकनीकी सहयोग और रखरखाव में मदद देना चाहते हैं।

रामताल नए परिप्रेक्ष्य का विषय बना

सुनरख के निकट खोजा गया रामताल कुंड वृंदावन के इतिहास को नए परिप्रेक्ष्य में खोजने और परखने के लिए मजबूर करेगा। गौड़ीय संप्रदाय का मानना हैं कि 500 साल पहले चैतन्य महाप्रभु ने वृंदावन की खोज की, जबकि राधाबल्लभीय संप्रदाय का मानना है कि महाप्रभु अक्रूर घाट से इधर आए ही नहीं।

एएसआइ ने मांगी खुदाई की अनुमति

पुरातत्व सर्वेक्षण टीम के प्रमुख भुवन विक्रम का मानना है कि जहां रामताल कुंड खुदाई में मिला, वहीं ऐसे स्थल और मंदिर आदि और भी होने चाहिए। उन्होंने महानिदेशक पुरातत्व सर्वेक्षण राकेश तिवारी को पत्र लिखकर रामताल के आसपास भी खुदाई की अनुमति मांगी है।

डीएम ने दिया सहयोग का आश्वासन

द ब्रज फाउंडेशन के प्रवक्ता श्रीकृष्ण सरस के अनुसार, जिलाधिकारी राजेश कुमार ने फाउंडेशन के इस प्रयास में सहयोग का आश्वासन दिया है। उनका भी मानना है कि विकसित हो जाने के बाद रामताल वृंदावन आने वाले पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण स्थल होगा।


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