वृंदावन के अंदर ही रहेंगे बंदर
जागरण संवाददाता, मथुरा: वृंदावन में वानरों का जंगलराज कायम रहेगा। वन विभाग ने वन्य जीव अधिनियम का हव
जागरण संवाददाता, मथुरा: वृंदावन में वानरों का जंगलराज कायम रहेगा। वन विभाग ने वन्य जीव अधिनियम का हवाला देकर बंदरों की नसबंदी कराने की मंजूरी देने से इन्कार कर दिया। हालत यह है कि बंदरों को छोड़ने के लिए जंगल ही मौजूद नहीं है। इस फैसले के बाद साफ हो गया है कि अब बंदर वृंदावन के अंदर ही रहेंगे।
वृंदावन में बंदरों का आतंक दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है। श्रद्धालुओं के चश्मा, बैग उठा कर ले जाने के अलावा घरों में हर रोज भारी नुकसान करते हैं। बंदरों से भयभीत होकर कई लोग छतों से गिरकर जान गंवा चुके हैं। नगर पालिका वृंदावन ने प्रशासन से शहर में वानर सेना के आतंक की लंबी-चौड़ी शिकायत की थी। क्षेत्रीय जनता ने भी बंदरों की हरकतों से निजात पाने के लिए अपनी सहमति प्रदान कर दी थी। कस्बा फरह के समीप बंदर परिवार नियोजन केंद्र स्थापित कर उनकी नसबंदी कराई जानी थी। मगर वन विभाग ने इससे साफ इन्कार कर दिया। पालिका से प्रभारी अधिकारी निकाय ने पकड़े गए बंदरों को छोड़ने के जंगल की जानकारी मांगी है। जबकि आसपास कहीं भी जंगल नहीं है।
पकड़कर छोड़ने की योजना हो चुकी नाकाम
छह साल पहले वन विभाग ने मथुरा-वृंदावन से बंदरों को पकड़कर वन विभाग ने पीलीभीत के जंगलों में छोड़ने की योजना बनाई गई थी। पालिका कर्मचारियों ने बंदर पकड़े, मगर पीलीभीत ले जाने के बजाय छाता, कोसीकलां, फरह, सौंख और राया इलाके के खेतों में ही छोड़ दिया था। दूसरे-तीसरे दिन अधिकांश बंदर वापस आ गए। जो वहां पर रह गए, वो ग्रामीणों के लिए अभी तक मुसीबत बने हुए हैं। इसी के मद्देनजर मथुरा-वृंदावन विकास प्राधिकरण ने कस्बा फरह के पास बंदर परिवार नियोजन केंद्र स्थापित कर नसबंदी कराने योजना बनाई थी।
वन विभाग ने दिए 47 हजार रुपये दिए
वन विभाग ने वृंदावन नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी को 7 अगस्त और 28 सितंबर को 26 और 21 हजार रुपये बंदरों को पकड़ कर जंगलों में छोड़ने के लिए आवंटित कर दिए हैं। साथ ही बंदर पकड़ने की कार्रवाई के फोटोग्राफी कराए जाने को भी कहा है।
जिले में नहीं कोई बड़ा जंगल
प्रभारी अधिकारी निकाय एसके शर्मा ने नगर पालिका वृंदावन के अधिशासी अधिकारी से पकड़े गए बंदरों को जंगल में छोड़े जाने की जानकारी मांगी है। इधर, मथुरा में करीब 1300 हेक्टेयर वन क्षेत्र है। वह भी अलग-अलग क्षेत्रों में हैं। वृंदावन के समीप अहिल्यागंज का जंगल है, लेकिन बंदरों को छोड़े जाने के बाद उनके वापस आने की संभावनाएं भी अधिक है। देहात क्षेत्र में छोड़े जाने पर वहां की आबादी के लिए बंदर मुसीबत बन जाएंगे।