सीएमओ ने मरीज बन परखी अस्पताल की सेहत
मथुरा (कोसीकलां): सरकारी अस्पतालों में रात में क्या स्थिति होती है, चिकित्सक रहते हैं या नहीं? मरीजो
मथुरा (कोसीकलां): सरकारी अस्पतालों में रात में क्या स्थिति होती है, चिकित्सक रहते हैं या नहीं? मरीजों की रात में कोई सुधि लेता या नहीं? ऐसे तमाम सवालों के जवाब तलाशने के लिए सीएमओ डॉ. विवेक मिश्रा बुधवार रात मरीज बनकर अस्पताल की सेहत परखने पहुंच गए, लेकिन एक मरीज की पुकार पर पहुंचे चिकित्सकों ने उन्हें पहचान लिया।
सरकारी अस्पतालों में चिकित्सा सुविधाओं के नाम पर चिकित्सक मनमानी पर आमादा हैं। इसे परखने सीएमओ डॉ. विवेक मिश्रा बुधवार रात कोसीकलां प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र (पीएचसी) का रियलिटी टेस्ट किया। वे यहां अचानक रात दस बजे यहां पहुंचे। अस्पताल से दूर उन्होंने गाड़ी खड़ी की और स्वयं मरीज बनकर चिकित्सा सुविधा मांगी। किसी पीड़ित के आने की खबर पर वहां मौजूद डॉक्टर स्वतंत्र सक्सेना व डॉट्स संचालक डॉ. अनिल कुमार सहायक सुखराम को लेकर पहुंच गए। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जब मरीज बने सीएमओ अंधेरे से उजाले में पहुंचे, तो चिकित्सा प्रभारी डॉ. सक्सेना ने उन्हें पहचान लिया।
डा. सक्सेना ने सहयोगियों से मरीज के बारे में पूछा, लेकिन वहां कोई मरीज नहीं था। इसके बाद सभी को मामला समझने में देर नहीं लगी। प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार सीएमओ ने एक घंटे तक चिकित्सकों से पूछताछ व बातचीत की। डॉ. स्वतंत्र सक्सेना ने सीएमओ के अस्पताल पहुंचने की बात स्वीकारी है।
महिला चिकित्सकों पर नहीं असर !
सीएमओ का औचक निरीक्षण भले ही ठीक रहा हो, लेकिन दिन में यहां की व्यवस्थाएं बेहद खस्ता रहती हैं। यहां दो महिला चिकित्सक डॉ. पूजा ¨सह एवं डॉ. कमलेश कुमारी तैनात हैं। पिछले दो दिनों में डॉ. पूजा ¨सह की उपस्थिति को लेकर मरीजों ने शिकायत की थी, जिसके बाद वे गुरुवार को अस्पताल आईं, लेकिन डॉ. कमलेश कुमारी बुधवार को उपस्थिति रहने के बाद गुरुवार को नदारद रहीं। हालांकि रजिस्टर में बिना प्रार्थना पत्र के उनकी सीएल कौन लगाता है, यह कोई भी पता नहीं लगा सका। केंद्र प्रभारी डॉ. स्वतंत्र सक्सेना ने बताया कि उन्हें छुट्टी से संबंधित कोई पत्र नहीं मिला है। उधर डॉ. पूजा ¨सह ने कहा कि वे जरूरी काम से एक दिन की छुट्टी पर रही थीं।
उन्होंने अपनी उपस्थिति को सुनिश्चित कराने का वादा किया। यहां प्रसूति केंद्र भी चलता है, जिसमें महिला चिकित्सकों की देखरेख की जिम्मेदारी होती है, लेकिन इससे चिकित्सकों को शायद ही मतलब होता हो। इसके चलते महिला मरीजों को परेशान होकर नर्सों का सहारा लेना पड़ता है। इसके बाद सीएमओ ने चौमुहां सीएचसी का भी रात में ही निरीक्षण किया।