कस्तूरबा विद्यालय पर नहीं बनी बात
मथुरा (कोसीकलां): कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय विवाद के हल के लिए उपजिलाधिकारी द्वारा बुलाई गई समझ
मथुरा (कोसीकलां): कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय विवाद के हल के लिए उपजिलाधिकारी द्वारा बुलाई गई समझौता वार्ता में संस्था के पदाधिकारियों ने आश्वासनों की किश्त उड़ेल कर समस्या का हल चाहा। समस्या क्यों आई और क्या इसका समाधान है? जैसे सवालों से बचते हुए हुए परेशानी एवं समस्याएं गिनाकर भावनात्मक डील की गेंद एसडीएम के पाले में फेंक दी। खाली आश्वासनों से खफा मकान मालिक ने किराए से कम किसी बात पर समझौता करने से इन्कार कर दिया।
गरीब बालिकाओं की शिक्षा के लिए संचालित कस्तूरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालय का विवाद बहुप्रतिक्षित एसडीएम की वार्ता में भी हल नहीं हो सका। सोमवार को एसडीएम ने महिला समाख्या एवं शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं मकान मालिक अनुराग जैन को छाता में बुलाया। वहां मकान मालिक ने किराया न मिलने की बात कही। तो जिला कार्यक्रम समन्वयक बालिका शिक्षा मनोज कुमार एवं महिला समाख्या की किरन लता ने अपनी परेशानी गिनाकर तरह-तरह के आश्वासन दिए। कहा कि सबकुछ ठीक हो जाएगा, किराया भी मिल जाएगा। लेकिन क्यों नहीं मिला और अब कब तक मिल जाएगा इसका उत्तर देने से वे बचते रहे।
इस दौरान उन्होंने मकान मालिक के बड़े घर से तालुक्क होने एवं गरीब कन्याओं की पढ़ाई की बात कहकर भावनात्मक वार किया। लेकिन मकान मालिक ने भी तमाम दलीलें देते हुए किराए से कमतर किसी भी ¨बदु पर समझौता न होने की बात कही। करीब डेढ़ घंटे चली वार्ता में जब मामला बढ़ता दिखा तो उपजिलाधिकारी राम अरज यादव ने हस्तक्षेप किया। उन्होंने उनके अधिकारियों से वार्ता की और जल्द कोई निश्चित अवधि मकान मालिक को बताने के लिए भी कहा। वार्ता के बाद एसडीएम ने निजी रूप से भवन स्वामी से अगले सत्र तक इमारत को खाली न कराए जाने के लिए वार्ता की, लेकिन बात नहीं बनी।
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हमने समस्या के बारे में डीएम एवं संबंधित अधिकारियों को पत्र लिखा है। मकान मालिक से वार्ता चल रही है। अगले सत्र तक हमने उनसे सहयोग मांगा है। हालांकि अभी बात नहीं बनी है। वार्ता जारी है, जल्द सकारात्मक परिणाम आएंगे।
एसडीएम राम अरज यादव
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वार्ता में कोई परिणाम नहीं निकला। मकान मालिक अपनी मांग पर अड़े हैं। हम इसमें क्या कर सकते हैें। पूरा मामला अधिकारियों के सामने है।
वार्डन रंजना चतुर्वेदी
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वार्ता में केवल आश्वासन थे। अधिकारियों ने कोई नीतिगत बातचीत कर हल नहीं खोजा। वे अपनी समस्या बताते रहे और इमोशनली तौर पर आश्वासनों का पुलंदा हमें थमाने का प्रयास कर मामले का हल खोजते रहे। उन्हें या तो किराया चाहिए। या फिर आधिकारिक रूप से लिखित तौर पर निश्चित अवधि तक किराया भुगतान का आश्वासन मिलता। लेकिन वहां ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।
अनुराग जैन भवन स्वामी।