लक्ष्मी को भाया 'कमल'
जागरण संवाददाता, मथुरा: बसपा से निष्कासन के करीब ग्यारह महीनों की कश्मकश के बाद आखिर कद्दावर जाट नेत
जागरण संवाददाता, मथुरा: बसपा से निष्कासन के करीब ग्यारह महीनों की कश्मकश के बाद आखिर कद्दावर जाट नेता और बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चौ. लक्ष्मी नारायण ने सोमवार को भाजपा का दामन थाम लिया है। लखनऊ में प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने चौ. लक्ष्मीनारायण को पार्टी की सदस्यता ग्रहण कराके मथुरा की राजनीति में सियासी 'मास्टर स्ट्रोक' खेल दिया है। इसके साथ ही राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गईं। सियासी नफा-नुकसान के कयासों और चर्चाओं का दौर शुरू हो गया।
छाता विधानसभा क्षेत्र से तीन बार के विधायक और मायावती सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे चौ. लक्ष्मी नारायण काफी समय से भाजपा में जाने का प्रयास कर रहे थे। पिछले लोकसभा चुनाव में बसपा का सूपड़ा साफ होने से पहले ही उन्होंने बदल रहे समय के संकेत समझ लिए थे और भाजपा से लोकसभा चुनाव में टिकट हासिल करने के काफी प्रयास किए थे, लेकिन बात नहीं बन सकी थी। लोकसभा चुनाव के बाद सितंबर से बसपा में मांट विधायक श्याम सुंदर शर्मा की नजदीकियां बढ़ने लगीं। इसी दौरान दांव-पेच ऐसे खेले गए कि पिछले साल सितंबर में उन्हें बसपा से निष्कासित कर दिया गया। काफी प्रयासों के बाद भी जब उन्हें घर वापसी होती नजर नहीं आई, तो उन्होंने भाजपा और रालोद में जाने के भी प्रयास किए । लेकिन रालोद में छाता के मौजूदा विधायक ठा. तेजपाल की अड़ंगा बन गए। अब डेढ़ साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में मैदान मारने के लिए उन्होंने सोमवार को भगवा झंडा थाम लिया।
भाजपा में शामिल होने से छाता विधानसभा क्षेत्र में समीकरण तेजी से बदलने के आसार बढ़ गए हैं। छाता के मौजूदा विधायक ठा. तेजपाल ¨सह और वह पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी माने जाते रहे हैं। एक-एक टर्न के बाद विधायक भी होते रहे हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में चौ. लक्ष्मी नारायण की पकड़ वाले जाट मतदाताओं ने भी भाजपा को थोक में वोट दिया था, जबकि ठाकुर मत भी भाजपा को बहुतायत में मिले थे। पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने रालोद के ठा. चौ. तेजपाल ¨सह को तगड़ी टक्कर दी थी और अस्सी हजार से ज्यादा मत पाकर भी चुनाव हार गए थे। इससे पहले चौ. लक्ष्मी नारायण अपने चुनावों में जाटों के अलावा जाटव मतों के संयुक्त जोड़ से जीत दर्ज करते रहे थे, लेकिन अब उनके भाजपा में जाने से छाता विस क्षेत्र में सियासी समीकरण एकदम नए आधार पर बनना तय हो गया है।
जानकारों के अनुसार छाता क्षेत्र में बसपा को तगड़ा झटका लगा है और रालोद को टक्कर देने वाला बसपा में कोई नेता नहीं रहा है। मौजूदा समीकरणों के आधार पर अब रालोद और भाजपा आने वाले विस चुनाव में आमने-सामने के प्रतिद्वंद्वी होंगे, जबकि बसपा यहां तीसरे स्थान पर खिसक सकती है।
भाजपा जिलाध्यक्ष डॉ. डीपी गोयल ने कहा है कि विभिन्न दलों के नेताओं का अपने दलों से मोह तेजी से भंग हो रहा है। भाजपा अगली सरकार बनाएगी और अभी जिले में और समीकरण बदलेंगे। चौ. लक्ष्मीनारायण के पार्टी में आने से संगठन मजबूत होगा।
चौधरी को पंचायत में दिखाना होगा दमखम
आगामी सितंबर-अक्टूबर में प्रस्तावित जिला पंचायत चुनावों में चौ. लक्ष्मी नारायण के प्रभाव की परीक्षा होगी। भाजपा जिला पंचायत पर कब्जा करने के लिए उन्हीं के कंधे पर रखकर बंदूक चलाएगी। छाता के कई जिला पंचायत सदस्य भी भाजपा में शामिल हो सकते हैं। अब से पहले रालोद के दो जिला पंचायत सदस्य चेतन मलिक और मेघश्याम ¨सह भाजपा में शामिल हो चुके हैं। नए समीकरण से आने वाला जिला पंचायत चुनाव भी रोचक हो जाएगा। इस चुनाव में पारंपरिक प्रतिद्वंद्वी रहे चौ. लक्ष्मी नारायण और श्याम सुंदर शर्मा आमने-सामने होंगे। दोनों मिलकर एक बार बसपा का जिला पंचायत अध्यक्ष बनवा चुके हैं, लेकिन इस बार चुनौती दूसरी होगी।
बसपा को जिताऊ कैंडीडेट नहीं, टेंडर चाहिए: लक्ष्मी
चौ. लक्ष्मी नारायण ने बसपा पर जमकर आरोप लगाए. कहा कि बसपा को जीतने वाला कैंडीडेट नहीं, टेंडर चाहिए। बसपा अब दलित सेवा की नहीं, धन सेवा की पार्टी रह गई है। मायावती की धन सेवा की नीतियों से आजिज आकर ज्यादातर बड़े नेता बसपा से निकल गए हैं अथवा उन्हें निकाल दिया गया है। बसपा का कोई भविष्य नहीं है, क्योंकि उसका वोट बैंक छिटक चुका है।
जागरण से वार्ता में उन्होंने बसपा से निकले एक-एक कर कई बड़े नेताओं के नाम गिनाए और कहा कि जाटव मतदाता बसपा के गुलाम नहीं हैं। चौ. लक्ष्मीनारायण ने कहा कि उन्होंने हमेशा बिना किसी भेदभाव के क्षेत्र में काम किया है। जाटवों की 65 चौपालें अपने कार्यकाल में बनवाईं। जाटव मतदाता अब भी उनके साथ रहेगा। उन्होंने जिला पंचायत चुनाव फतह करने के सवाल पर कहा कि जो नेतृत्व का निर्देश होगा और नीति-रीति है, उसी के अनुसार काम करेंगे।