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फिर कहर बन बरसे बदरा, एक और किसान की मौत

जेएनएन, मथुरा: कुदरत किसानों से मानो किसी खता का रह-रह कर बदला ले रही है। बारिश, ओले, आंधी आदि का कह

By Edited By: Published: Sun, 29 Mar 2015 08:06 PM (IST)Updated: Sun, 29 Mar 2015 08:06 PM (IST)
फिर कहर बन बरसे बदरा, एक और किसान की मौत

जेएनएन, मथुरा: कुदरत किसानों से मानो किसी खता का रह-रह कर बदला ले रही है। बारिश, ओले, आंधी आदि का कहर सहते-सहते फसलें मिट्टी में मिल चुकी हैं। किसानों ने किसी तरह से हिम्मत करके इस संकट से जूझने का जज्बा पैदा किया था, मगर रविवार को बारिश के साथ ही किसानों की आंखों से आंसू टपकने लगे। बारिश और फिर आंधी ने खेतों से अन्न ले जाने की रही-सही उम्मीद भी धराशायी कर दी। बाजना के गांव महाराम गढ़ी निवासी एक किसान के रविवार सुबह खेतों पर ही प्राण पखेरू उड़ गए।

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बाजना: क्षेत्र के गांव महारामगढ़ी निवासी 63 वर्षीय किसान रघुवीर सिंह रविवार सुबह खेतों पर गया था। वहां चौपट फसलों को देखकर उसका जी घबराने लगा और चक्कर आने लगे। जैसे-तैसे वह खेत के ट्यूबवेल पर आया, लेकिन वहां पहुंचते ही उसे दिल का दौरा पड़ गया। पड़ोसी किसानों ने उसकी हालत बिगड़ने पर इसकी सूचना घर पर की। परिजन उन्हें घर ले गए और माहौल गमगीन हो गया। रघुवीर सिंह पर 22 बीघा खेत है, जिसमें गेहूं की फसल बोई थी, लेकिन मौसम की लगातार मार सह-सहकर फसल जमीन पर बिछ गई है। किसान के चार बेटे हैं, बेटियों की शादी पहले ही हो चुकी है। बताया गया कि रघुवीर सिंह पर ढाई लाख रुपए का सरकारी बैंक का कर्ज है।

सुरीर: बेमौसम बरसात से सोना उगलने वाले खेतों में फसलें औंधे मुंह गिरी पड़ी हैं। थोड़ी बहुत बची गेहूं की फसल पर रविवार को फिर से मौसम की मार पड़ी है। अब किसानों की आखों से अश्रुधार बहने लगी है। उनकी पूरी फसल बर्बाद होती दिख रही है। पिछले दो माह से मौसम की मार से रो रहे किसान अब बस यही कह रहे हैं कि ये बेरुखी अब जान लेकर ही रहेगी। भगत नगरिया के मुरारी सिंह बताते हैं कि अबकी बार प्रकृति ने ऐसा कहर बरपाया है कि किसान पूरी तरह तबाह हो गए हैं। जावरा के नरेंद्र सिंह कहते हैं कि गेहूं की फसल अब पूरी तरह से बर्बाद होती दिख रही है। औहावा के चतुर सिंह ने बताया कि आखिर प्रकृति न जाने कब-कब का बदला ले रही है।

नौहझील: बेमौसम बारिश और तेज हवाओं के चलते सरसों और आलू की फसल पहले ही बर्बाद हो चुकी थीं। गेहूं की फसल को खेत में ही सुला दिया था। लेकिन रविवार को हुई बेमौसम बरसात और तेज हवाओं ने किसानों को फिर से झकझोर दिया है। मरहला के किसान राजवीर शर्मा ने बताया कि उनकी गेहूं की फसल पक कर तैयार खड़ी है। बिगड़े मौसम ने फिर से फसलों को नुकसान पहुंचाया है। गिरी हुई फसल की बालियां थोड़ा बहुत पक रही थीं, लेकिन इस बरसात ने फसल के सड़ने की आशंका बढ़ा दी है। किसान होरी लाल कुशवाह, रामनिवास शर्मा बरौठ, उदयवीर प्रधान बरौठ, प्रेमचंद मरहला, राजपाल बघेल देदना, सतीश पंडित देदना, बच्चू पंडित इनायतगढ़, बाबूलाल आदि ने फसलों के सड़ने की आशंका व्यक्त की।

कराहरी: रविवार की शाम तेज गड़गड़ाहट केसाथ हुई बारिश से पकी गेहूं-जौ की फसलों में पानी भर गया है और उनकी बालियां जमीन में बिछी होने के कारण भीग गई हैं। धूप निकलते ही ये बालियां चटक जाएंगी, जिससे अनाज खेतों में ही बिखर जाएगा। डडीसरा के किसान राधेश्याम ऋषि सिंह, बिकल सिंह, रामपाल सिंह, कराहरी के लोकेंद्र सिंह, हंसराज सिंह, दिनेश पाठक, जुगलकिशोर, श्यामल जीवनलाल आदि का कहना है कि पिछले माह की बारिश ने बहुत नुकसान पहुंचाया था, अब फिर से बारिश होने से कुछ भी नहीं बचेगा।


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