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होरी कैसे खेलूं री या सांवरिया के संग

जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): ब्रज में होली की मस्ती चरम पर है। ढोल और मृदंगों के साथ होली गीतों

By Edited By: Published: Wed, 04 Mar 2015 07:05 PM (IST)Updated: Wed, 04 Mar 2015 07:05 PM (IST)
होरी कैसे खेलूं री या सांवरिया के संग

जागरण संवाददाता, मथुरा (वृंदावन): ब्रज में होली की मस्ती चरम पर है। ढोल और मृदंगों के साथ होली गीतों पर लोग झूम रहे हैं। चादी के सिंहासन पर विराजमान ठा. बाकेबिहारी के आगन अबीर गुलाल की बौछार हो रही है। श्रीराधाबल्लभ मंदिर परिसर सतरंगी नजर आ रहा है।

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बुधवार को ठा. बाकेबिहारी मंदिर में सेवायतों ने श्रद्धालुओं पर जमकर रंगों की बरसात की। श्रीराधाबल्लभ मंदिर में भी जमकर होली हुई। दोनों मंदिरों में ठाकुरजी के साथ भक्तों ने होली खेली।

पागल बाबा मंदिर से निकला डोला

वृंदावन: परंपरागत तरीके से होली दहन के एक दिन पूर्व पागल बाबा मंदिर से श्रीराधा-कृष्ण के स्वरूपों का डोला निकाला गया। श्रद्धालुओं ने जमकर अबीर-गुलाल की बौछार की। जहां से होकर डोला निकला वहां की सड़कें लाल-पीली हो गई। शोभायात्रा में पश्रि्वम बंगाल, उड़ीसा, बिहार, दिल्ली और हरियाणा के सैकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।

रंग और खाने का मजा बदरंग न कर दे होली

-गुजिया, मिष्ठान और पकवान सीमित ही खाएं तो अच्छा

जागरण संवाददाता, मथुरा : होली है तो रंग-गुलाल भी उड़ेगा, घर-घर में गूंजा-गुंजिया, मिठाई और पकवान बनेंगे और पीने-पिलाने का दौर भी चलेगा। लेकिन रंगों का ये त्योहार प्रेम, शांति, सौहार्द्र और शुद्धता के साथ मनाया जाए तो सोने पर सुहागा हो जाए। प्राकृतिक रंगों के साथ होली खेलने का मजा ही कुछ और है। प्राकृतिक रंग-गुलाल हों, शुद्ध मावा की बनी गुजिया हों तो कहने ही क्या।

त्वचा का रखें खास खयाल

-बाजार में खुले में बिकने वाले केमिकल युक्त रंग और गुलाल इस्तेमाल न करें।

-केमिकल रंग व गुलाल से त्वचा और आंखों को नुकसान हो सकता है।

-स्किन एलर्जी, खुजली, त्वचा का रंग लाल, दाद, चकत्ते पड़ जाते हैं और त्वचा में खिंचाव होने लगता है।

-धूप लगने से ये चकत्ते और भी विकराल हो जाते हैं।

-आंखों में रंग या गुलाल चले जाने से जलन, खुजली व इंफेक्शन की आशंका रहती है।

-टेसू के फूलों से बना रंग या हर्बल कलर ही इस्तेमाल करें।

-होली खेलने से पहले पूरी शरीर को ढके हुए कपड़े पहनें।

-होली से पहले पूरे शरीर पर सरसों तेल या कोई और चिकनाईयुक्त पदार्थ लगा लें, ताकि रंगों का दुष्प्रभाव कम पड़े।

-रंग या गुलाल लगाते समय जोर-जोर से न रगड़ें, सिर्फ हल्के हाथ ही गुलाल या रंग लगाएं।

-खुले रंग या गुलाल की जगह पैक्ड ही खरीदें।

-जिन लोगों की त्वचा संवेदनशील है, उन्हें रंग-गुलाल से परहेज करना चाहिए।

-होली खेलने के बाद कोल्ड क्रीम इस्तेमाल कर सकते हैं।

(सलाह: फिजीशियन डा. पीपी पाठक, त्वचा रोग विशेषज्ञ डा. अनिल अग्रवाल और डा. सुरेंद्र सिंह)


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