ढूंढे नहीं मिल रहे बीएसएनएल के मोबाइल सिग्नल
जागरण संवाददाता, मथुरा: भारत संचार निगम के मोबाइल सिग्नल जरूरी नहीं कि हर इलाके में मिल ही जाएं। यह
जागरण संवाददाता, मथुरा: भारत संचार निगम के मोबाइल सिग्नल जरूरी नहीं कि हर इलाके में मिल ही जाएं। यह भी हो सकता है कि आपके इलाके के टावर की जगह दूसरा टावर आपका मोबाइल पकड़ने लगे और अंत में कमजोर पड़कर सिग्नल आपकी वार्ता को ही बाधित कर दें।
गांव-देहात की तो चले क्या, शहर में ही बीएसएनएल की कवरेज कमजोर पड़ने लगी है। टूजी और थ्रीजी के तमाम टावर लगाने के बावजूद कवरेज एरिया लगातार कमजोर पड़ रहा है। उपभोक्ताओं की मानें तो शहर में ही रामदास मंडी, चौक बाजार, राजाधिराज बाजार, धौलीप्याऊ और सिविल लाइंस के अलावा औरंगाबाद इलाके में सिग्नल कभी भी चले जाते हैं। होली गेट पर ही गोविंद गंज में घरों के अंदर सिग्नल नहीं मिल रहे। लोगों को अपने लैंड लाइन फोन से बात करनी पड़ रही है।
बाहरी और हाइवे से लगी कालोनियों में तो घरों के अंदर बीएसएनएल के मोबाइल उपभोक्ता बात नहीं कर पाते। गोवर्धन रोड पर जो टावर है, उसे ठीक करने के दावे अधिकारी लंबे समय से करते रहे हैं, पर यहां राधापुरम हो या राधापुरम एस्टेट, घरों के अंदर सिग्नल न आने की आम शिकायत है।
देहात में तो हाल इतना बुरा है कि लाइट जाते ही सिग्नल फेल हो जाते हैं। यह इसलिए हो रहा है कि टावरों के जनरेटरों को मिलने वाला डीजल कागजों पर खप रहा है। हाइवे पर ही रिफाइनरी के आसपास, फरह, रैपुराजाट, चौमुहां और कोसी के आसपास कभी भी सिग्नल चले जाते हैं। मांट के अलावा सुरीर, बल्देव, छाता और जतीपुरा में भी कमजोर सिग्नल के सहारे उपभोक्ता अपना निर्वाह कर रहे हैं।
निगम प्रशासन शिकायतों का संज्ञान नहीं ले रहा, जिसकी वजह से उपभोक्ता निजी संचार कंपनियों की ओर शिफ्ट कर रहे हैं। इस वजह से निगम के मोबाइल उपभोक्ता डेढ़ लाख से कम बने हुए हैं। उप मंडलीय अभियंता जीएस अग्रवाल इस तथ्य से साफ इंकार करते हैं। उनका कहना है कि इस आशय की कोई शिकायत नहीं है। कहीं केबल कटने से दिक्कत आती है, उसे तत्काल दुरुस्त करा दिया जाता है।