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बरसाने की गोरी फगुआ मागन आईं

जेएनएन, मथुरा: शनिवार को नंदलाल के गांव नंदगांव में हुरियारिनों ने बदला लेने बरसाने से आए हुरियारों

By Edited By: Published: Sat, 28 Feb 2015 08:35 PM (IST)Updated: Sun, 01 Mar 2015 04:20 AM (IST)
बरसाने की गोरी फगुआ मागन आईं

जेएनएन, मथुरा: शनिवार को नंदलाल के गांव नंदगांव में हुरियारिनों ने बदला लेने बरसाने से आए हुरियारों पर प्रेमपगी लाठियां बरसाईं।

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यशोदा कुंड पर जुटे ग्वालों ने पहले भांग-ठंडाई छानी। फिर नंदगांव की गलियों में रंगों की बौछार शुरू हो गई। नंदभवन पर नंदगाव के ग्वालों पर टेसू के फूलों का रंग, अबीर, गुलाल आदि बरसाकर रोकने का प्रयास किया गया। प्रत्युत्तर में हुरियारों की ओर से भी रंग और गुलाल बरसा। अबीर, गुलाल की इस बारिश से पूरा नन्दभवन सतरंगी हो गया।

बरसाना के ग्वाल सखी भाव से अपनी होली का फगुवा मागने के लिए नंदभवन पहुंचे और कृष्ण-बलराम को गुलाल लगाया। फगुवा की गुहार की-बरसाने की गोपी फगुवा मागन आईं, कियौ जुहार नन्दजू कों भीतर भवन बुलाई। नंदभवन में अष्टछाप के कवियों के पदों का समाज गायन किया। ठाकुरजी को अनुराग युक्त गालियां सुनाई।

आवौ री सखी आवौ । बृजराज कूॅ गारी सुनावौ।

हुरियारों की चुटीली चुनौती स्वीकार कर नंदगांव की हुरियारिनें सोलह श्रृंगार से सुसज्जित लठामार होली के लिए गलियों में उतर आई।

इत आईं ब्रजबाल, मृगनैनी गज गमिनी।

टेके हैं मदन गुपाल, घन घेरयौ जनौं दामिनी।

हंसी ठिठोली के बीच प्रेम की लाठी बरसीं। बरसाने के हुरियारे अपनी ढालों की ओट से स्वयं को बचाते नजर आए। होली के बाद हुरियारे हुरियारिनों के पैर स्पर्श कर बरसाना लौट गए।

इससे पूर्व बरसाना से राधारानी की सखी की हुरियारों के रूप में नंदगाव आई। लाडली जी मंदिर से होली के ध्वज को लेकर बरसाना के हुरियारे प्राचीन परंपरा को निर्वाहन करते हुए नंदगाव होली खेलने पहुंचे।

रंगों से तर बतर भयौ रावल

मथुरा: बरसाना के बाद शनिवार को राधारानी के गांव रावल में जमकर रंग उड़े। रंग से तर बतर होकर खूब गुलाल की मूंठें चलाई, तो पिचकारी की धार भी पड़ती रही। शाम को राधारानी मंदिर पर गांव वासियों ने होली खेलना शुरू किया और अगले तीन घंटे तक समूचा गांव होली में सराबोर हो गया। बाहरी श्रद्धालुओं के अलावा प्रख्यात लोकगीत गायक रसिका पागल पहुंचे, तो थिरकने से वह भी स्वयं को नहीं रोक सके। ढोल, तासे-बाजे की थाप और रंगों की पिचकारी ने ऐसा समां बांधा कि होली की मस्ती में एक भी अछूता न रहा। भजन, रसिया और लोकगीतों पर थिरकते हुए होली खेलने वालों ने किसी को भी नहीं छोड़ा। भंग की तरंग में तमाम हुरियारे ऐसी ऐसी हरकतें कर रहे थे कि देखने वाले पुलकिए हुए बिना न रह सके। भक्ति और रंग की झमाझम बारिश में रसिकों ने इस छोटे से गांव में खूब धमाल मचाया।

श्रीकृष्ण जन्मस्थान में आज रंगारंग होली

परंपरा के तहत श्रीकृष्ण जन्मस्थान में रविवार को रंगारंग होली का आयोजन होगा। होली के गीत-संगीत के साथ ही रावल की हुरियारिनें लठामार होली खेलेंगी।

द्वारिकाधीश में होगी टेसू के फूलों की होली

रंग भरनी एकादशी पर राजाधिराज मंदिर में रविवार को सुबह 10 से 11 बजे तक राजभोग के भव्य दर्शन होंगे। अबीर, गुलाल, टेसू के फूलों से होली खेली जाएगी।

बलदेव का इन्द्रधनुषी हुरंगा सात को

बल्देव: बल्देव का प्रसिद्ध इंद्रधनुषी हुरंगा 7 मार्च को 12 बजे से मंदिर प्रागण में आयोजित होगा। मंदिर प्रबंध समिति द्वारा टेसू के फूल, सफेदी, फिटकरी, केसर व इत्र आदि से बना रंग मंदिर में बने हौजों से तैयार कराया जाता है। इसी रंग द्वारा गोस्वामी कल्याण देवाचार्य के वंशज मन्दिर प्रागण में हुरंगा खलते हैं। दाऊजी का हुरंगा ब्रज की होली का मुकुट मणि कहलाता है।

जाब बठैन के हुरंगा सात-आठ को

कोसीकलां: गांव जाव एवं बठैन के हुरंगा होली के बाद होंगे। गांव जा का हुरंगा सात मार्च को होगा, जबकि बठैन का हुरंगा उसके अगले दिन आठ मार्च को होगा।


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