पाइप लाइनों पर भारी पड़ेगा नया एसटीपी
जागरण संवाददाता, मथुरा: यमुना प्रदूषण दूर करने के मामले में जल निगम कतई गंभीर नहीं है। सीवेज फार्म प
जागरण संवाददाता, मथुरा: यमुना प्रदूषण दूर करने के मामले में जल निगम कतई गंभीर नहीं है। सीवेज फार्म पर नया बनाया गया एसटीपी पाइप लाइनों पर भारी पड़ेगा अथवा जलीय कचरा इसमें पहुंचेगा ही नहीं। पालिका प्रशासन को इस कमी की अब सुध आई है।
यमुना कार्ययोजना के अंतर्गत वर्ष 2000 तक दो सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनाए गए थे। पीएमवी पॉलीटेक्निक कालेज के पीछे और यमुना पार सीवेज फार्म पर बने एसटीपी नगर की जलीय कचरे के बढ़े उत्सर्जन से कई साल पहले ओवरलोड हो चुके हैं।
प्रदेश सरकार ने सीवेज फार्म पर ही सोलह एमएलडी के एक और सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट के लिए धनराशि आवंटित की थी, जिसके सापेक्ष नया एसटीपी बनकर तैयार हो चुका है और आने वाले दिनों में शुरू होने जा रहा है।
नियमानुसार नए एसटीपी को जलीय कचरे से भरने के लिए सीवेज पंपिंग स्टेशन की क्षमता बढ़ाई जानी चाहिए थी और पाइप लाइन दूसरी पड़नी चाहिए थी, लेकिन ये दो मुख्य कार्य नहीं किए गए हैं। सीवेज फार्म के पुराने एसटीपी में बंगाली घाट और डेरी फार्म सीवेज पंपिंग स्टेशनों का जलीय कचरा जाता है।
नए एसटीपी की लाइन पल्ली पार पर इन दोनों सीवेज पंपिंग स्टेशनों की पाइप लाइन से ही जोड़ दी गयी है। न तो दोनों सीवेज पंपिंग स्टेशनों की क्षमता वृद्धि की गई है और न ही पाइप लाइन अलहदा बिछाई गई है।
अब पालिका प्रशासन का कहना है कि इन दोनों सीवेज पंपिंग स्टेशनों की क्षमता नहीं बढ़ने से नए एसटीपी में जलीय कचरा कैसे जाएगा और ये कैसे भरे जाएंगे। यदि पुरानी पाइप लाइन पर ही लोड डाला गया तो ये बर्स्ट हो सकती हैं। इससे यमुना प्रदूषण मुक्ति की दिशा में नया एसटीपी कोई काम नहीं आएगा।
जलकल अभियंता उदय राज सिंह यादव का कहना है कि नया एसटीपी कभी भी चालू हो सकता है। इससे पुरानी पाइप लाइनों पर बोझ बढ़ेगा और नयी समस्या सामने आ सकती है। वह मामले में जिलाधिकारी समेत शासन को लिखेंगे।